ऐसे कह कर उन्होंने एक तौलिया मेरी तरफ उछाल दिया जिसे लपेट कर मैं बाथरूम की ओर बढ़ गया।
बाथरूम में घुसने से पहले मैंने स्वाति आंटी का हाथ पकड़ कर कहा- आप भी आओ ना…साथ में शावर लेंगे।
आंटी ने कहा- यू नोटी बोय…अभी नहीं…अभी तुम शावर ले कर आओ…फिर हम लंच कर लेते हैं और वैसे भी अगले सात दिन मैं और तुम बहुत एन्जोय करने वाले हैं।
कह कर वो हाथ छुड़ा कर रसोई की ओर बढ़ गई और मैं बाथरूम में शावर लेने चला गया। जब लौटा तो बैड पर मेरे कपड़े रखे थे जिन्हें पहन कर मैं ड्राईंग रूम में आकर सोफे पर बैठ गया, तभी स्वाति आंटी सलवार कुर्ते के ऊपर गर्म जैकेट पहने रसोई से लंच की ट्रे लिये बाहर आई और मुझे डाईनिंग टेबल पर आने को कहा।
फिर हम दोनों साथ बैठ कर लंच करने लगे, तब आंटी बोली- प्रीत…मैंने तुम्हारी मम्मी से तुम्हारे रात को मेरे पास रुकने की बात कर ली है…अभी लंच लेकर तुम घर जाकर अपना वहाँ का काम निपटा लो…।
“और हाँ…थोड़ा आराम भी कर लेना…आज सारी रात मैं तुमको सोने नहीं दूँगी!” स्वाति आंटी ने शरारती अंदाज़ में कहा।
लंच लेकर मैं उठा, हाथ धोये और स्वाति आंटी को बाहों में भर कर होंठों से होंठ मिला कर गहरा चुम्बन लिया और रात को मिलने की प्रोमिस के साथ अपने घर चला आया, पर मेरा मन तो रात के इन्तज़ार में अधीर हुआ जा रहा था।
थोड़ी थकान महसूस हुई तो सो गया। दो घन्टे बाद मम्मी ने उठाया तो उठ कर दोस्तों के साथ खेलने चला गया, जब शाम हुई तो घर लौट कर थोड़ी देर टीवी पर मैच देखा तब तक मम्मी शाम के खाने के लिये आवाज़ लगा चुकी थी।
खाना खाते हुए मम्मी ने बताया कि स्वाति आंटी घर पर अकेली है इसलिये आज मुझे उनके घर सोना होगा।
मैंने उन्हें जताया कि मैं वहाँ अपनी इच्छा से नहीं जा रहा, हालांकि मन में मैं कितना खुश था यह तो मैं ही जानता था।
आखिरकार 9 बज ही गए…मैं तुरन्त घर से निकला और लिफ्ट में सवार हो कर जल्दी से शशि आंटी के घर पहुँचा डोरबेल बजाई तो स्वाति आंटी ने दरवाज़ा खोला। आंटी अपनी पारदर्शी नाईटी के ऊपर हाऊसकोट पहने सामने खड़ी थी। मैं अन्दर ड्रांईगरूम में जाकर सोफे पर बैठ गया, आंटी भी दरवाज़ा अन्दर से लॉक कर के मेरे पास आकर बैठ गई और हम बातें करने लगे।
मैंने उन्हें बताया कि कैसे मैं उनके बारे में सोच कर हस्तमैथुन किया करता था।
बातें करते हुए मैं उनके उरोज़ों पर हाथ फिराने लगा और अपने होंठ उनके होंठों पर रख कर चूमने लगा। कुछ देर में वो अलग हुई, अपने हाऊसकोट और नाईटी को उतार फेंका और अपनी पीठ मेरी ओर कर अपने ब्रा के हुक खोलने को कहा।
मैंने तुरन्त उनके ब्रा के हुक खोल उसे तन से अलग कर दिया फिर उनके उरोज़ों को दबाने लगा और उनके गुलाबी निप्पलों को चूसने लगा। वो भी आँखें बन्द किये हुए उत्तेजक आवाजों से माहौल को मादक बना रही थी।
थोड़ी देर चूसने के बाद मैंने उनकी पैन्टी खोल एक तरफ फेंकी और सोफे पर लिटा कर उनकी योनि में अपनी जीभ घुसा कर चूसने, चाटने लगा।
अब उनकी दबी मादक आवाज़ें उत्तेजक सिसकारियों में बदल गई थी- यस…प्रीत…जीभ और अन्दर डालो…वाओ…ये तुम बहुत अच्छा करते हो…प्लीज़ करते रहो…आह…उफ्…ऐसे ही करो…यू आर माई गुड बोय…मुझे छोड़ के कभी मत जाना…!
कुछ देर में मुझे अलग कर वो मुझ पर सवार हो गई जीन्स का बटन खोल अन्डरवियर में से मेरे लिंग को निकाल कर चूसने लगी, मैंने भी अपनी टी-शर्ट और बनियान को उतार फेंका और सोफे पर बैठ आंटी के बालों में हाथ फिराते हुए ज़न्नत की सैर करने लगा।
कुछ देर चूसने के बाद स्वाति आंटी उठ कर बोली- बैडरूम में चलें…?
हम दोनों बैडरूम में गये, मैं बैड पर जा कर लेट गया और आंटी सोफ्ट म्यूज़िक ओन कर के मेरे ऊपर सवार हो गई और मेरे लिंग को फिर हाथ में लेकर उसके साथ खेलने लगी।
कुछ देर चूसने के बाद स्वाति आंटी बैड पर टांगें फैला कर लेट गई और मुझे अपने ऊपर आने का इशारा किया, मैं भी तुरन्त आंटी की टांगों के बीच बैठा और अपने लिंग को उनकी योनि में घुसा दिया और धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा।
स्वाति आंटी तकिया पकड़ कर उत्तेजना से कराहने लगी- वाओ…ओ माई बैबी…यस…कम ओन…प्रीत…यू आर ग्रेट…हां…ऐसे ही…करते रहो…!
मैं कूल्हों से प्रहार बढ़ाता जा रहा था, हर झटके के साथ मुझे भी स्वर्ग का सुख मिल रहा था।
आंटी मेरे सीने पर हाथ फिराते हुए सिसकारियाँ भरने लगी- और ज़ोर से…प्रीत…आह्ह…मज़ा आ गया…प्लीज़…फ़क मी हार्ड…यू आर माई बेबी…उफ़्फ़…तुम पहले क्यूँ नहीं मिले…प्रीत…अब मुझे छोड़ कर कहीं नहीं जाना…आई लव यू…!
कुछ देर में स्वाति आंटी मुझे नीचे लिटा कर मुझ पर सवार हो गई और सैक्स की कमान अपने हाथ में लेते हुए को लिंग को अपनी योनि में घुसाने के बाद उछल-उछल कर अन्दर बाहर करने लगीं, इससे मुझे ज्यादा मज़ा आने लगा।
(TBC)…