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प्रमोशन भाग ३

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अब उसने मेरा लौड़ा बेहताशा चाटना शुरू किया मानो बरसों की भूखी हो और क्यों ना… थी ही वो बरसों की प्यासी। लौड़ा अब उसके गले तक नीचे उतरा जा रहा था। अब मुझे अपने पर काबू रख पाना मुश्किल होने लगा। वीर्य सुपारे में आकर इकट्ठा हो गया था जैसे ज्वालामुखी फटेगा।मैं अब जानबूझ कर उठ गया। पर वो छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। मैंने लौड़ा उसके मुँह से छुड़ा लिया और उसकी टांगों के बीच आकर बैठ गया। उसके चेहरे पर एक नशाछाया हुआ था। और आँखों ने कह ही दिया- अब डालो ना।

मैंने सुपारा चूत के मुँह पर रख दिया उसकी आँखें लौड़े के एहसास से ही बंद हो गई थी।

मैंने एक जोरदार धक्का दिया, वो चीख पड़ी- उएई म्म्माआ मर गयी ! निकालो बाहर ! राज।

मैंने अपना मुँह उसके मुँह पर रख दिया और एक धक्का दिया, अब मेरा पूरा लौड़ा चूत में समां गया। मैं बिना कुछ किये शांत पड़ा रहा। उसकी आहों ने पूरे कमरे को भर दिया था। उसका दर्द कुछ काम हुआ तो उसने आँखें खोली, मानो कह रही हो- राज मैं अब तैयार हूँ।

और मैंने लौड़ा अन्दर-बाहर करना चालू कर दिया। वो भी अब गांड उठाकर मेरा साथ देने लगी। इसका मतलब था कि रास्ता साफ हो गया है और मैं असली रूप में आ गया, मैंने अपनी सेक्स मशीन चालू कर दी। अब चिल्लाने और चूदने के अलावा वो कुछ नहीं कर सकती थी। वो सिर्फ गांड हिलाती रही, चिल्लाती रही और झड़ती रही।

मैं भी अपनी चरमसीमा पर पहुँच चुका था और मेरी रफ़्तार भी लगभग दुगनी हो गई थी। 4-5 बड़े झटकों के बाद मैं चिल्लाया और झड़ गया।

उसने मुझे ऐसे कस लिया मानो हम दो नहीं एक हों। मैं आखिरी बूंद गिराने तक उस पर पड़ा रहा और फिर निढाल होकर सो गया।

मैं जब नींद से जगा तो वो मेरे बालों को सहला रही थी, उसने मुझे आई लव यू कहा और लिपट गई। उस रात मैंने उसको तीन बार चोदा। सुबह वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी।फिर मैंने मीटिंग के बारे में बात की। उसने कहा कि उसका प्रेजेंटेशन सबको बहुत ही पसंद आया। उसने मीटिंग में यह भी बताया कि उसको इस काम में मैंने कैसे मदद की। पर वो थोड़ी रुकी और कहा- मैं अब तुम्हारी मैनेजर नहीं रही।

मैं बिस्तर पर बैठ गया और विस्मय से देखने लगा, मैंने पूछा- क्यों? तुम्हारा काम सबको पसंद आया ना? फिर क्या बात हुई?

तो वो बोली- मेरी इतनी ज्यादा मदद करने की तुम्हारी भावना ने सबको प्रेरित किया और उन्होंने तुम्हें मैनेजर बना डाला। बधाई हो ! अब मैनेजर मैं नहीं, तुम हो। और उसका लेटर जल्द तुम्हारे मेल पर होगा।

पर मुझे कोई खुशी नहीं थी, उस जगह की असली हकदार तो पूजा ही थी, मैं निराश होकर बिस्तर से उठने लगा तो वो बोली- अभी साथ छोड़ोगे फिर मैं जब सीनियर मैनेजर की कुर्सी पर बैठूँगी तो मेरा साथ कौन देगा?

मैंने उसकी तरफ देखा तो मुझे चिड़ाने की मुद्रा में हँसने लगी। मैं ख़ुशी से झूम उठा और मैं बेतहाशा उसे चूमने लगा।

अगले 5 दिन हम शादीशुदा हनीमून युगल की तरह ऊटी, मैसूर, बंगलौर घूमते रहे।

छः महीने पहले उसका पति आकर उसे अमेरिका ले गया पर सच कहूँ वो उसे अपना दोस्त और मुझे पति मानती है। जाने से पहले उसने एक काम कर दिया। मेरी मुलाकात एक ऐसी औरत से कर दी जिसने मुझे पूजा की कमी महसूस होने नहीं दी। बात आगे बढ़ती रही, वो भी मेरे जिंदगी से ऐसे ही निकल गई पर उसने ऐसी औरतों से मुलाकात करा दी जो चुदाई की प्यासी थी और मुझ पर पैसे भी लुटाती थी।


पड़ोसन की चुदाई की रासलीला

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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम वसीम है और मेरी इस साईट पर ये पहली कहानी है। ये करीब 4 साल पहले की बात है, में सिटी में रहता हूँ और वहाँ सारे घर काफ़ी पास-पास होते है और मेरे पड़ोस में एक लड़की नई-नई रहने आई थी। उस दिन में 12 बजे उठा था और फिर मैंने अपनी नौकरानी को नाश्ता बनाने के लिए बोला और फिर में अपनी बालकनी में खड़ा था और सामने वाले बंद घर में एक औरत और एक लड़की घर की सफाई कर रही थी, तब मैंने उसे ठीक से नहीं देखा था।

फिर उसी दिन मैंने शाम को उसे देखा, वो बहुत खूबसूरत थी। फिर मैंने अपनी नौकरानी से उसके बारे में जानकारी निकालने को कहा तो उसने मुझे उसके बारे में काफ़ी जानकारी लेकर दी कि वो वड़ोदरा से आई है और उसके बाप नहीं है और घर में वो और उसकी माँ सिर्फ़ दो लोग रहते है और अभी तक उनका घर में सामान सेट नहीं हुआ है। फिर मैंने अपनी नौकरानी के हाथों उन्हें खाना भेज दिया और फिर काफ़ी दिन बीत गये, अब में उसे देखता और वो मुझे देखती, लेकिन कोई बात आगे नहीं बढ़ रही थी। फिर एक दिन रात को में अपनी बालकनी में खड़ा था और वो अपनी खिड़की में खड़ी थी। तो मैंने उससे पूछ ही लिया कि इतनी रात हो गयी आप सोई नहीं हो तो उसने कहा कि नहीं नींद नहीं आ रही है, फिर हमारे बीच में काफ़ी सारी बातें हुई।

फिर बाद में धीरे-धीरे दिन निकलते गये और जब उसकी माँ घर में नहीं होती या सोई हुई होती तो हमारी बातें होती रहती। फिर एक दिन मैंने उससे उसका नंबर माँगा तो उसने मुझे अपना नंबर नहीं दिया, लेकिन मैंने अपना नंबर एक कागज पर लिखकर उसे दे दिया। फिर करीब 2 दिन के बाद उसका कॉल आया तो मैंने कॉल रिसीव किया और उसने अपना नाम बताया और कहा कि ये मेरा नंबर है सेव कर लेना और कभी मुझे सामने से कॉल मत करना, वरना मेरी माँ मुझे मार डालेगी। फिर मैंने उसे भरोसा दिलाया और फिर ये सिलसिला चलता रहा। अब उसका मिस कॉल आता और उसके बाद घंटो तक हमारी बातें चलती रहती। फिर वो बातें रोमांटिक और सेक्स के टॉपिक पर चेंज होने लगी थी और में उससे चुदाई के लिए कई बार कहता, लेकिन वो मना कर देती थी, क्योंकि उसे मेरे लंड और उसकी माँ दोनों से डर लगता था। फिर एक दिन उसकी माँ का कोई रिश्तेदार मर गया था, तो वो सुबह 9 बजे वड़ोदरा गयी हुई थी।

फिर मुझे उसका मिस कॉल आया और बातें करते-करते मेरे दिमाग़ में उसे चोदने का प्लान बना लिया और फिर मैंने उसे कहीं घूमने जाने के लिए राज़ी कर लिया। फिर मैंने तैयार होकर अपनी कार निकाली और उसे कॉल करके अपने एरिया के बाहर बुलाया और उसे वहीं से कार में बैठाकर घुमाने ले गया। फिर हमने मूवी देखी और मूवी के बीच में मैंने उसे किस किया और उसके बूब्स पर अपना हाथ फैरा। फिर मैंने जब उसकी सलवार में हाथ डाला तो उसकी पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी और वो काफ़ी गर्म हो गयी थी। अब में समझ गया कि ये अब चुदासी हो गयी है। फिर हम मूवी से बाहर आए और कार में मैंने उसे फिर से किस किया और चूत भी मसली। अब वो काफ़ी गर्म हो चुकी थी, अब में उसे एक होटल में ले गया। फिर वहाँ मैंने एक रूम बुक किया और फिर हम दोनों रूम में पहुँचे, अब वो डर के मारे कांप रही थी और सेक्स के मारे तड़प भी रही थी।

फिर मैंने उसे हग किया और उसे किस करना शुरू किया। फिर मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और अब उसके 34 साईज़ के बूब्स बहुत प्यारे लग रहे थे। फिर मैंने उसे खूब चूसा और उसके बाद मैंने उसे बेड पर लेटाया और फिर अपने सारे कपड़े निकाले। अब वो मेरा 9 इंच का लंड देखकर घबरा गयी थी और काफ़ी डरने लगी थी, लेकिन मैंने उसे अभी कुछ नहीं कहा और में सिर्फ़ उसको किस और बूब्स की चुसाई कर रहा था। अब वो मज़े ले रही थी और फिर मैंने उसे ऊँगली से चोदना शुरू किया। अब वो काफ़ी मज़े ले रही थी और फिर में उसके दोनों पैरो के बीच में बैठ गया और उसके दोनों पैरो को पूरा चौड़ा किया और एक तकिया उसकी गांड के नीचे रख दिया और उसकी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा। अब वो बहुत डर गयी थी और मना करने लगी और रोने लगी थी।

(TBC)…

पड़ोसन की चुदाई की रासलीला भाग २

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फिर मैंने उसे प्यार से समझाया और उसकी चूत के होंठो को हल्का सा खोलकर अपना लंड वहीं सेट कर दिया। उसके बाद मैंने उसे किस करना शुरू किया और उसके कंधो को पकड़कर एक जोरदार सा झटका मारा, अभी सिर्फ़ मेरे लंड का सुपाड़ा ही अंदर गया था कि वो झटपटाने लगी और उसकी आवाज़ मेरे मुँह में गूंजने लगी। अब उसकी आँखो से आँसू निकलने लगे थे और अब में कुछ ज़्यादा ही गर्म हो गया था। फिर में उसकी परवाह किए बिना जमकर शॉट लगाने लगा। अब वो काफ़ी झटपटा रही थी और अब में उस कुँवारी चूत को चोदने में इतना गर्म था कि वो कब बेहोश हो गयी मुझे पता ही नहीं चला। फिर जब 20 मिनट के बाद में झड़ने लगा तो मुझे महसूस हुआ कि ये बेहोश हो गयी है। अब में थोड़ा घबरा गया था, लेकिन फिर मैंने उसके चेहरे पर पानी छिड़का तो उसे होश आया और उसके बाद उसे दर्द का एहसास होना शुरू हो गया। फिर में उसके पास बैठा और उसे अपनी गोद में बैठाया। फिर में उसे बाथरूम में ले गया, जहाँ हम फ्रेश हुए और उसके बाद हम जब बाथरूम से बाहर आए तब वो कुछ आराम महसूस कर रही थी। उसके बाद मैंने उसे दोबारा किस करना शुरू किया और इस बार वो भी मेरा साथ देने लगी थी।

अब में काफ़ी मजे कर रहा था और अब में उसके बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था। अब वो दर्द के मारे कराह रही थी, आआहह उूउऊहह उउउईईइ माँ और कह रही थी कि ख़ान ज़रा धीरे दबाओ बहुत दर्द हो रहा है, लेकिन अब में उसकी कहाँ सुनने वाला था। फिर में उसकी चूत में उंगली करने लगा और अब वो दर्द से तड़पने लगी, लेकिन मैंने उसकी एक ना सुनी और उसकी अपनी उंगली से चुदाई करने लगा। अब कुछ देर के बाद उसकी आवाज बंद हो गयी और उसकी सिसकियों की आवाज़ आने लगी, आह्ह्ह्ह आआअहह सस्स्स्स्सह और वो अपनी गांड हल्की-हल्की ऊपर उठाने लगी और अब वो काफ़ी पानी छोड़ चुकी थी। अब मैंने दोबारा से अपना लंड उसकी चूत पर रखा और उसे किस करने लगा, इस बार में काफ़ी सावधानी से उसे चोद रहा था, फिर मैंने एक शॉट मारा और रुक गया, अब मेरा आधा लंड उसकी चूत में था।

अब वो फिर से रोने लगी थी तो अब में रुक गया और उसके बूब्स चूसने के लिए जैसे ही उसके लिप से अपने लिप हटाए तो वो ज़ोर से बोलने लगी कि निकाल लो ख़ान बहुत दर्द हो रहा है, लेकिन मैंने उसकी कोई बात नहीं सुनी और उसके बूब्स चूसने लगा और 10 मिनट के बाद वो खुद अपनी गांड को हिलाने लगी। फिर मैंने उसके लिप लॉक किए और उसके कंधो को पकड़ कर पूरे जोश में शॉट मारा तो मेरा पूरा लंड उसकी चूत में चला गया और मेरे अंडे उसकी चूत की दीवार पर टकराने लगे। अब 2 या 3 मिनट तक ऐसे ही रहने के बाद मैंने उसके लिप छोड़ दिए और अब उसकी आवाज दोबारा शुरु हो गयी थी, लेकिन थोड़ी देर में ही वो सिसकियां निकालने लगी, अब वो कई बार झड़ गयी थी। अब ये राउंड करीब 45 मिनट तक चलता रहा, फिर हम दोनों एक साथ झड़ गये और फिर हम वहीँ सो गये और जब उठे तब दोपहर के 3 बज चुके थे।

फिर हम दोनों बाथरूम में गये और नहाकर फ्रेश हुये। फिर उसके बाद मैंने उसके लिए जूस मँगवाया। फिर उसने मुझसे कहा कि मुझे तुम्हारा लंड पसंद आया। फिर मैंने कहा कि तुम्हारा ही है, कभी चाहिए हो तो बता देना। उसके बाद मैंने उससे कहा कि एक बार और हो जाए, अब पता नहीं कब चान्स मिलेगा, तो वो मुस्कुरा दी। फिर मैंने उसे डॉगी स्टाइल में होने को कहा तो वो कुतिया बन गई। अब में उसके पीछे गया और पीछे से अपना लंड उसकी चूत में डालने लगा। अब वो भी बहुत मजे करने लगी थी और अब वो भी आगे पीछे होकर मेरा साथ देने लगी थी। अब उसके हिलते हुए बूब्स बहुत मस्त लग रहे थे। फिर मैंने उसे सीधा लेटाकर चोदा और फिर हम दोनों एक साथ झड़ गये। फिर हम लोग उठे और एक दूसरे को साफ किया और जूस पीने के बाद मैंने एक बार और उसे चोदा और उसने इस बार मेरा काफ़ी अच्छा साथ दिया और हमने काफ़ी मज़े किए ।।

धन्यवाद …

सास के साथ मस्ती

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मेरा नाम राज है और मैं 28 साल का हूँ, दिल्ली का रहने वाला हूँ, मेरी शादी को हुए दो साल हो गए है, मेरी सास 36 साल की एकदम जवान औरत है, बहुत सेक्सी है, मेरा तो उसे देखते ही खड़ा हो जाता है। मैं हमेशा उसकी फोटो देख के मुठ मारता हूँ, मैं हमेशा उसको देखता रहता था, हमेशा उसको चोदना चाहता था, उसके मुँह पर मुठ मारने का मन करता था।

बात उन दिनों की है जब मेरे सास हमारे यहाँ रहने आई क्योंकि मेरे बीवी की तबीयत ख़राब रहती थी, मैं बहुत खुश हो गया। जब वो नहाने जाती तो नहाने के बाद मैं तुरन्त नहाने चला जाता था ताकि वो आपने कपडे नहीं धो पाए। उसके गीले कपड़ों में मैं ब्रा और पैंटी खोजता और मैं उसकी गीली पैंटी को सूंघता और उसको मुँह में डाल कर चूस लेता। मैं दोनों पर खूब मुठ मरता था, जब वो सोती थी तो अकसर उसकी साड़ी उठ जाती थी और मैं उसकी फोटो ले लेता था। इस तरह मुझे बहुत मजा आने लगा, फिर क्या, मैं उसको चोदना चाहता था।

और आखिर वो दिन आ गया, एक दिन मेरे बीवी अपने छोटे भाई जो सात साल का है उसे लेकर पार्क में घूमने चली गई, मैं और मेरी सास घर पर अकेले थे। मैं बिस्तर पर बैठ कर लैपटॉप पर काम कर रहा था। इतने में मेरी सास मेरे पास आकर बिस्तर के ऊपर खड़ी हो गई और अपनी साड़ी उठा कर मेरे मुँह पर ढक कर बोली- ले चाट ले अपनी सास की बुर ! यही चाहते थे न तुम ?

मेरी कुछ समझ में नहीं आया।

साड़ी के अंदर बिल्कुल अँधेरा था।

वह बोली- क्या मुझे नहीं पता कि तुझे क्या चाहिये !

मैं उठा और अलग हो गया।

वो बोली- क्यों ? अपनी सास की बुर नहीं चाटनी?

मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया, साड़ी खोल दी और पेटीकोट के अंदर घुस गया। उसकी जाघें बहुत मोटी और मस्त थी।

फिर मैंने उसकी पैंटी सूंघी, क्या खुशबू थी ! फिर मैं उसकी पैंटी को चाटने लगा।

मैंने पूछा- आपको कैसे पता चला कि मुझे क्या चाहिए?

बोली- साले ! हमेशा मुझे घूरते रहते हो ! मेरे नहाने के बाद तुरंत नहाने चले जाते हो ! मेरी पैंटी और ब्रा पर मुठ मारते हो और पूछते हो कैसे पता चला? पैंटी धोते समय मुझे पता चल गया।

बोली- क्या मैं तुम्हें इतनी अच्छी लगती हूँ?

मैंने कहा- बहुत अच्छी !

चोदना चाहते हो मुझ को?

मैंने कहा- हां ! बहुत दिनों से !

बोली- आजा राजा चोद दे अपनी सास को !

मैं पागल सा हो गया। मैंने पेटीकोट खोल दिया, अब वो सिर्फ पैंटी और ब्लाउज मैं थी, मैंने पैंटी के अन्दर हाथ डाल दिया और पैंटी निकाल दी और मुँह में लेकर चूसने लगा।

(TBC)…

सास के साथ मस्ती भाग २

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वह बोली- पैंटी से बहुत खेल चुके ! अब बुर से खेलो !

क्या लाल बुर थी साली की ! और थोड़े थोड़े बाल थे ! मस्त सेक्सी लग रही थी।

मैंने अपना मुँह उसकी बुर पर रख दिया और चाटना शुरु कर दिया। वो सिसकारिययाँ लेने लगी- और चाट साले, पीले अपनी सास की बुर !

मैं लगातार बुर चाटता रहा।

इतने में बोली- मुझे पेशाब करना है !

मैंने कहा- रुको ! मेरे मुँह में करो !

वो बोली- क्यों ?

मैंने कहा- मैं पी लूँगा !

वो बोली- साले, मेरा पेशाब पीयोगे?

मैंने कहा- हाँ, मैं बुर के पास मुँह रखता हूँ, तुम करो !

उसने पेशाब करना शुरु किया, मैं पूरा पेशाब पी गया और कहा- मज़ा आ गया !

वो बोली- कैसा था ?

मैंने कहा- बहुत स्वादिष्ट !

मैंने उसकी बुर चाट कर साफ कर दी और उसमें उंगली डाल कर हिलाने लगा। फिर मैंने उसकी गांड को चाटना शुरु किया। क्या गांड थी साली की ! पर छेद बहुत छोटा था, शायद कोरी गांड थी ! मैंने उसकी गांड पूरी चाट ली।

वो बोली- नीचे ही लगा रहेगा या ऊपर भी आएगा ?

उसके काले ब्लाउज से सफेद ब्रा साफ़ दिख रही थी। मुझे ब्लाउज के ऊपर से ब्रा देखने में बहुत अच्छा लगता है, मैं ब्लाउज के ऊपर से ब्रा छूने लगा और फिर ब्लाउज खोल दिया और ब्रा के ऊपर से चूचियों को दबाने लगा।

क्या बड़ी-बड़ी चूचियाँ थी साली की !

फिर मैंने ब्रा खोल दी और चूचियों को मुँह में ले लिया और खूब चूसा। वो बहुत मज़े ले रही थी मस्त-मस्त गालियाँ दी रही थी।

मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और जीभ उसके मुँह में डाल दी।

वो बोली- चलो, अब जल्दी से चोद दो !

कुँवारी चाची की चुदाई

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मेरा नाम सँदीप है उस समय मेरी उम्र २३ साल थी जब मेरे छोटे चाचा की शादी हुई थी। मैं घर कम ही जाता था क्योंकि उस समय मैं इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा था, पर उन दिनों मेरे घर में दो शादियाँ थी एक मेरे चाचा जी की और दूसरी मेरे बुआ के लड़के की। इसलिए न चाहते हुए भी मुझे घर जाना पड़ा। पर मुझे क्या पता था कि वक़्त मेरी जवानी को नया रंग दिखलाना चाहता है।
मेरी घर में बहुत इज्जत है क्योंकि मैं पढाई में बहुत तेज हूँ और छोटे चाचा ८ क्लास के बाद नहीं पढ़े। जब मैं शादी में गया तो चाची को देखता ही रह गया। वो बहुत मस्त थी, उस समय उनका फिगर ३२-२८-३४ था। चाचा और चाची की जोड़ी बिल्कुल नहीं जम रही थी, जैसे लंगूर के हाथ में अंगूर या हूर !

मन तो कर रहा था कि ये अंगूर मुझे खाने को मिल जाये !
घर में शादी के बाद एक रिवाज़ की वजह से पहली रात चाची को अलग सोना था। घर पर मेहमान काफी थे इसलिए मैं पहले से जा कर चाची के कमरे में सो गया। चाचा को बाहर ही सोना था। रात में मेरी नींद खुली तो देखा कि चाची मेरे बगल में सोयी हैं, शायद शादी की वजह से उन्हें थकान बहुत थी इसलिए वो बेधड़क सो रही थी। उनका पल्लू सीने से हट गया था। उनकी काले रंग की ब्रा देख कर मेरा ७ इंच का लंड बेकाबू हो गया।

मैंने धीरे -२ उनके ब्लोउज के बटन खोल दिए। उनकी गोरी-२ चूचियां देख कर मेरा लंड फ़नफ़ना रहा था। मैंने हौले से उनकी ब्रा की पट्टी कन्धों से किनारे हटा दी और एक हाथ से चूची को हलके-२ दबाने लगा, दूसरी चूची को अपने मुँह में भर के चूसने लगा। मुझे लगा चाची जाग गयी हैं पर सोने का बहाना कर रही हैं तो मैं धीरे से उनकी साड़ी को उपर खिसका कर उनकी चूत पर उपर से हाथ फरने लगा। थोड़ी देर में मुझे पैंटी में गीलापन महसूस हुआ। मुझे लगा चाची को मजा आ रहा है तो मैंने धीरे से उन्हें आवाज दी- चाची….. !
उन्होंने कहा- कुछ मत बोलो बस करते रहो….!
यह सुनते ही मैं उनके उपर आ गया और उनके रसीले होटों को चूमने लगा..
अब चाची मेरा पूरा साथ दे रही थी…

उन्होंने मेरे पायजामे में हाथ डाल कर मेरे लंड को पकड़ लिया और उसकी सुपाड़े की चमड़ी को ऊपर नीचे करने लगी। मैं भी दोनों हाथो से उनकी गोल-२ चूचियां दबा रहा था। उनके मुँह से सेक्सी आवाजें आ रही थी- चोदो मुझे मेरे राजा ….. आज मेरी सुहागरात है …. १८ साल से ये अनचुदी है आज इसकी प्यास बुझा दो मेरे राजा ….
मैं भी गरम हो रहा था, मैंने उनकी पैंटी को उतार फेंका…और उनकी चूत में मुह लगा दिया। वो शायद एक बार झड़ चुकी थी। उनकी चूत से पानी निकल रहा था, मैं सब पी गया। मैंने दो उंगलियाँ उनकी चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा।
उन्हें मजा आने लगा….

उन्होंने भी मेरा लंड पकड़ के मुँह में भर लिया और सटासट चाटने लगी…
मैं उनके मुँह में ही झड़ गया, वो मेरा सारा रस पी गयीं। उन्होंने चूस-२ कर फिर से मेरा लंड खड़ा कर दिया….
वो बोली- जान अब और न तड़पाओ ! अपनी रानी को चोद दो ! मुझे मेरी प्यास बुझा दो…
मैं तो तैयार था, उसने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के मुहाने पर रखा और कहा- धक्का मारो !
मैंने भी बहुत जोर से पेल दिया पर चूत बहुत टाइट थी, लंड घुसा ही नहीं तो उसने लंड पकड़ कर ढेर सारा थूक मेरे सुपाड़े पर पोत दिया……
अबकी बार मैंने धीरे-२ धकेला तो आधा लंड अंदर चला गया….
वो दर्द से पागल हो गई, बोली- निकालो ! बाहर करो ! मैं नहीं सह पाऊँगी !

पर अब मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने उसे कमर से पकड़ कर पूरे जोर से एक धक्का मारा और लंड उसकी चूत की गहराइयों को छू गया……
वो दर्द से रोने लगी पर मैं धीरे धक्के लगाने लगा। थोड़ी देर में उसे भी मजा आने लगा, उसके मुँह से आवाज निकलने लगी थी- चोदो….और जोर से…..आह…आह….मेरे राजा…..मुझे जन्नत की सैर कराओ….और अंदर डालो…आह….सी…सी….
आह…. मैं पूरे जोर से पेले जा रहा था- हाँ रानी… ले… खा ले … पूरा मेरा खा जा … ले … ले … पूरा ले …
आह …राजा….मैं गई….सी….थाम लो….मुझे…..आह….
मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है तो मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी…..१०-१५ धक्कों के बाद हम दोनों साथ ही झड़ गये…
मैंने अपनी सारी गर्मी उसकी चूत में भर दी…

मैंने उठ कर देखा- खून से उसकी साड़ी लाल हो गई थी…
मुझे गम न था आज एक कुंवारी चूत का रसपान जो किया था…
उस रात मैंने उसे ४ बार चोदा…. वो शायद सबसे हसीं रात थी….
आपको अपने जीवन की कुछ और घटनाओ से अगली कहानी में वाकिफ करूँगा।

मामी का सैलाब

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मेरा नाम राज है, मैं जयपुर का रहने वाला हूँ, उम्र 21 साल है।

यह बात दो साल पहले की है जब मैंने बारहवीं की परीक्षा दी थी। मेरे मामा और मामी भी यहीं रहते हैं, हमारे दोनों घरों के बीच में लगभग 30 किलोमीटर का फासला है। मेरे मामा और मामी का मिलन दो साल पहले ही हुआ था मतलब उनकी शादी को सिर्फ दो साल ही हुए थे। मामी एक अध्यापिका हैं और मामा जी सरकारी नौकरी करते है। उनका तबादला दिल्ली हो गया, मामी अपनी नौकरी के कारण उनके साथ नहीं जा सकी इसलिए मामा ने मुझे वहाँ मामी से साथ रहने के लिए बोल दिया। मैं तो खुशी के मारे उछल पड़ा।

अब मैं आपको अपनी मामी के बारे में बताता हूँ। उनकी उम्र 24 साल, रंग गोरा, तनाकृति तो पूछो मत यारो ! साड़ी पहने या जींस टॉप…या फिर चाहे राजस्थानी पोशाक … लगती तो हमेशा एक पटाखा ही… जिसे मैं हमेशा जलाने की सोचता था।

मामा जी के चले जाने के बाद मैं वहां जाकर रहने लगा। शुरु के 3-4 दिन तो सब सामान्य चलता रहा, धीरे धीरे हल्का खुलापन आ गया। उसके बाद तो हम एक ही बेड पर सोने लगे पर पूरी दूरी बनाकर।

जब सुबह वो नहाने जाती तो मैं टॉयलेट में जाकर दीवार के छेद से उनके बाथरूम में उन्हें देखता था, उनकी चूत और गांड को देखकर मुट्ठी मारता था।

फ़िर 8-9 दिन बाद की बात है, रात को मामी ब्लाउज और पेटीकोट पहने थी और हम साथ में बैठ कर क्रिकेट मैच देख रहे थे। हम उसी बेड पर बैठे थे जिस पर हम सोते थे।

मामी को नींद आ गई। मैं देर रात तक टीवी देखता रहा था। लगभग दो बजे मैच ख़त्म हो गया। मैं ऐसे ही टीवी के चैनेल बदलकर सोने वाला ही था कि टीवी पर फैशन टीवी पर ब्रा-बिकनी शो चल रहा था।

मेरा लंड एकदम से कड़क हो गया। मैंने मामी की तरफ देखा, वो अपने पांवों को ऊपर की ओर मोड़कर सो रही थी और उनका पेटिकोट उनकी जांघों के नीचे आ गया था जिससे उनकी चूत साफ़ दिख रही थी।

मैंने झटके से उनके चहरे की तरफ देखा… वो आराम से सो रही थी।

(TBC)…

मामी का सैलाब भाग २

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मैंने अपने इरादे को उस रात पूरा करने का मानस बना लिया।

मैं उठा और निकर और बनियान पहनकर, बेड पर आकर सोने का नाटक करने लगा। 15-20 मिनट बाद मैंने नींद का नाटक करते हुए अपना हाथ उनके बोबों पर और एक पांव उनके दोनों पांवों के बीच में चूत पर डाल दिया। मामी नींद के नशे में मेरी तरफ़ घूमी और अपनी बाहें मेरे गले में और टाँगे एक के ऊपर एक डाल दी। मेरा पाँव अब उनकी चूत के बहुत पास आ गया और मुझे उसकी गरमी का अहसास हुआ।

मामी अब भी नींद के नशे में मुझे अपना पति समझ कर पप्पी ले रही थी और और अपनी बांहों में जकड़ कर अपने सीने से लगा रही थी और कुछ बोल रही थी। मैं जाग कर भी सोने का नाटक कर रहा था। थोड़ी सी देर बाद जब हम दोनों एक दूसरे के पूरे चिपक गए थे, वो एक हाथ से मेरा लण्ड पकड़ने की कोशिश करने लगी, मेरी निकर में हाथ डाल दिया और मेरे होंठों को चूमने लगी। मैं तो पहले से ही गर्म था और इसके बाद तो जैसे पूरी आग मुझ में और मामी में ही आ गई।

मामी ने लंड हाथ में लिया तो ऐसे लगा जैसे मुझे स्वर्ग मिल गया और मुँह से आह निकल पड़ी। मामी उसे बाहर निकाल कर चूत में डालने की कोशिश करने लगी। अब मैंने भी सोने का नाटक छोड़ दिया और मामी के चिकने बदन को मसलने लगा, जोर जोर से उनके बोबे दबाने लगा। होंठों से होंठों पर चुम्बन अब भी चालू था, हम दोनों अब अपनी अपनी आँखें खोल दी थी और एक दूसरे का पूरा साथ देने लगे थे।

अब तो सिर्फ अपनी आग शांत करने की देरी थी, मैंने मामी का ब्लाऊज उतार दिया। मामी ने ब्रा नहीं पहन रखी थी। उनके चुचूकों को जैसे ही मैंने अपने मुँह में लिया, मामी जोर जोर से आहें भरने लगी और अपने दोनों हाथों से मुझे अपने बोबों पर दबाने लगी। मैंने दूसरे हाथ से पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और पेटीकोट को टांगो से निकाल कर दूर फ़ेंक दिया, मैंने अपनी बनियान और निकर निकाल कर फ़ेंक दी।

मामी मेरा लंड हाथ में लेकर हिलाने लगी। मैंने देर न करते हुए अपने होंठ सीधे मामी की चूत पर टिका दिए और मामी ने दोनों हाथों से मेरे बाल पकड़ लिए।


नौकरानी की गंधी चूत!

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ये कहानी कुछ ही दिन पहले की है। हमारे घर पर एक नौकरानी थी। उसकी २ बेटीयाँ थी। उसकी छोटी बेटी दिखने ने बहुत ही सेक्सी थी। उसकी फ़ीगर देख कर किसी के भी मुंह में पानी आ जाये!

एक दिन वो मेरे घर पर झाडू बैठ कर लगा रही थी। में तभी उसके पीछे से गुजरा और जानबूझकर मैने अपना पैर उसके चूतड़ पे छूकर निकला! वो चौंक गयी! लेकिन कुछ नहीं बोली। उसकी मस्त गांड देखकर मुझसे रहा नही गया और मैं हमेशा इसी तरह करने लगा। मुझे इस बात का डर नहीं लग रहा था। पता नही क्यों!

फिर एक बार सब लोग बाहर गए थे। मैं अंदर रूम में था। वो झाडू लगाने आई। तो मैने उसे पकड़ लिया और उसे चूमने लगा। वो हैरान हो गयी और कहने लगी मैं तुम्हारी माँ को बता दूंगी! मैं थोडा डरा। तो मैने उसके मुंह में अपनी थूक डाल दी और उसके हूंठों को चूसने लगा। फिर मैने एक हाथ से उसके स्तनों को छुआ और कसके दबाने लगा। मैं उसे पीछे से पकड़कर क्लोथ सेक्स करने लगा वो थोड़ा मुस्कुराई। फिर वो ज़मीन पर बैठ कर पोंछा लगाने लगी। फिर मैने एक हाथ उसके कुरते के अंदर गर्दन की साइड से डाल कर उसका एक चुचुए को बाहर निकालने लगा। उसके काले निप्पल दिखने लगे!

मैने उसकी चूत पर हाथ रखा। वो शरमा गयी और मेरे कमरे सी बाहर चली गयी। हमारे घर मे दो बाथरूम थे। एक बाथरूम कमरे में था और दोसरा बाथरूम बाहर आंगन से जुड़ा था। फिर जब वो बाथरूम में कुछ लेने गई तो मैं भी उसके पीछे गया और फिर से उसको पकड़ कर चूमने लगा। मैं अब और नही रुक सकता था। इसलिए मैनें अपने खडे लंड को बाहर निकाला तो वो डर गई और विरोध कर रही थी। तो मैने कहा चुपचाप करवा लो वरना रेप करना पड़ेगा! और तुम किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगी। अगर चुपचाप करवा लोगी तो किसी पता नहीं चलेगा। उसका विरोध कम हो गया मैने उसकी सलवार उतार दी और पेंटी को चूमने लगा। फिर मैं उसके स्तन चूसने लगा। मैं उसके बेटे कि तरह उसका दूध पी रहा था। अब वो भी बहुत गरम हो गयी! और सेक्सी आवजे निकालने लगी, “स्सस्सस्सशह्हह्हह्हह”।

फिर उसने कहा, “मेरे निप्पले को और तेज चूसो!” तो मैं हैरान हो गया! मैने खुशी के मारे उसकी आंखों को चूम लिया।

फिर मैने उसकी पैंटी उतारी तो वो मुझसे बोली कि मुझे सूसू आ रहा है। मैं उसे बाथरूम ले गया और मैने उसे अपने सामने मूतने के लिये विवश किया तो वो शरम से पानी-पानी हो गयी। फिर मैने उसके पेशाब में अपने हाथ धोये। मुझे लगा कि गरम पानी से हाथ धो रहा हूँ।

फिर मैं उसे ले जाकर बिस्तर पर लिटा दिया और ६९ कि पोसिशन में अपना लंड उसके मुंह में डाला और उसकी चूत को चूसने लगा। थोड़ी देर बाद वो झड़ गयी! मैने उसका टेस्टी कम पी लिया। फिर मैं भी झड़ गया। वो मेरा रस गटक गयी। फिर वो मेरे लंड को चूसने लगी। जब मेरा ९ इन्च का लंड खड़ा हुआ तो मैने अपना लंड उसकी चूत पर रख कर धक्का मारा तो टोपा अंदर घुसी। वो चिल्लाने लगी, “ईइ मार डाला! आह…” उसके आँख से आंसु निकलने लगे! उसकी चूत से खून बह रहा था। मगर थोड़ी देर बाद वो नोर्मल हुई और मजे लेने लगी। वो खुशी से कराह रही थी।

अब मैं उसे तेजी से चोदने लगा। वो इतना मजा ले रही थी कि वो धीमी आवाज मे बोली, “अब मैं तुमसे रोज चुदवाउंगी ओह्हह्हह्ह यीईईईई!” और वो झड़ गयी। मैने धक्के तेज कर दिये और उसकी चूत में झड़ गया। उसकी चूत से मेरा गरम रस और उसका खून बाहर बह रहा था। मैने उसको बैठने को कहा। उसको दर्द हो रहा था। फिर मैंने उसे कपडे पहना दिए और घर भेज दिया।

मेरी प्रार्थना हैं कि आप सभी को भी ऐसी ही नौकरानी मिले!

डॉक्टर साहिब : एक रसीली असली कथा भाग ३

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आब मैं वही करूंगा जो एक जवान शक्तिशाली मरद को, एक सुंदर कामुक खूबसोरत बदन वाली जवान युवती, जो बिस्तर पर नंगी पड़ी हो, के साथ करना चाहिए. तेरा बदन वैसे भी एक साल से तड़प रहा है. तेरा कौमार्य टूटने के लिए बेताब है. और आज ये मरदाना काम. मेरा काम अंग करेगा रात भर इस बिस्तर पर. मेरी ऊँगली जो अभी भी उसकी छूट मैं थी. ने अचानक एक जलजला सा महसूस किया. ये उसका योनी रस था. जो योनी को सम्भोग के लिए तैयार होने मैं मदद करता है. मेरी ऊँगली पुरी भीग गई थी और रस छूट के बहार बहकर झांघाऊँ को भी भिगो रहा था. मेरी बात सुनकर उसके बदन मैं एक तड़प सी हुई चूतर ऊपर को उठे और उसके मुहँ से एक सिसकी भरी चीख निकल पड़ी. बाद मैं थोड़ा संयत होकर गोरी बोली. डॉक्टर साहब. पर इससे मैं रुसवा हो जाओंगी. मेरा मर्द मुझे घर से निकल देगा यदि उसे पता चला की मैं आप के साथ सोई थी. आप मुझे जाने दीजिये. मुझे माफ़ कीजिए.

तू मुझे मरद समझती है. तो मुझ पर भरोसा रख. मैं आज तुझे भरपूर जवानी का सुख ही नहीं दूँगा. बल्कि तुझे हर मुसीबत से बचूंगा. तेरा मरद तुझे और भी खुशी खुशी रखेगा. वो कैसे डॉक्टर साहब?

क्योंकि आज के बाद जब वो तुझ पर चढेगा वो तेरे साथ सम्भोग कर सकेगा. जो काम वो आजतक नहीं कर पाया तुम दोनों की शादी के बाद आब कर सकेगा. और तब तू उसके बच्चे की मान भी बन जायेगी. पर कैसे डॉक्टर साहब. कैसे होगा ये चमत्कार. साहब? गोरी. प्यारी. मैंने उसकी फटी चोली अलग करते हुए और उसके बूब्स को मसलना सुरु करते हुई कहा. तेरी योनी का द्वार बंद है. उसे आज मैं आपने प्रचंड भीषण लुंड से खोल दूँगा ताकि तेरा पति फिर आपना लुंड उसमें घुसा सके और आपना वीर्य उसमें दाल सके जिससे तू मान बन सकेगी. मेरे मसलने से उसके बूब्स बड़े बड़े होने लगे थे और कठोर भी. उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़. क्या लगती थी वो आपनी पुरी नग्नता मैं. उन सॉलिड बूब्स पर वो गोल छोटी चुचिया भी बहुत बेचें कर रही थी मुझे. उसका पुरा बदन आब बुरी तरह तड़प रहा था. नशीले बदन पर पसीने की हलकी छोटी बूंदें भी उभर आई थी. मेरा लुंड बहुत ही तूफानी हो रहा था और आब उसके आजाद होने का वक्त आ गया था.

डॉक्टर साहब मुझे बहुत डर लग रहा है. मेरी इज्जत से मत खेलिए न. जाने दीजिये. मेरा बदन. ऊऊऊईईईमाअ. मुझ पर यकीन करो गोरी. ये एक मरद का वडा है तुझसे. मैं सब देख लूँगा. तेरा बदन तड़प रहा है गोरी. एक मरद के लिए. तेरी छूट का बहता पानी. तेरे कसते हुई बूब्स साफ़ कह रहे हैं की आब तुझे सम्भोग चाहिए. साहब. हाँ. गोरी मेरी रानी. बोल. मैं मान बनूंगी न. हाँ. मेरा मरद मुझे आपने साथ रख लेगा न. मुझे मरेगा तो नहीं न. हाँ. गोरी. तू बिल्कुल चिंता न कर.. तो साहब फिर आपनी फीस ले लो आज रात. मेरी जवानी आपकी है. ओह. मेरी गोरी. आ. जा. और हम दोनों फिर लिपट गए. मेरा लुंड विशाल हो उठा. डॉक्टर साहब बहुत प्यासी हूँ. आज तक किसी मर्द ने नहीं सींचा मुझे. मेरे तन बदन की आग बुझा दो साहब..

तो फिर आ मेरी झांघाऊँ पर रख दे अपने चुत्तर और लिप्त जा मेरे बदन से. थोडी देर बाद मेरे हाथ मेरी कमीज के बटनों से खेल रहे थे. कमीज उतारी. फिर मेरी पन्त. गोरी की नजर मेरे बदन को घुर रही थी. मेरा अंडरवियर इससे पहले फट जाता मैंने उसे उतर डाला. और फिर ज्यों ही मैं सीधा हुआ. मेरे लुंड ने आपनी पुरी खूब्सोरती से अपने शिकार को पुरा तानकर उठाकर सलाम किया. आपने पुरी १२” लम्बाई और बड़े टमाटर जितने लाल हेड के साथ. गोरी बड़े जोर से चीखी. और बिस्तर से उठकर नंगी ही दरवाजे की तरफ़ भागी. क्या हुआ गोरी? मैं घबरा गया. मैं ताना हुआ लुंड लेकर उसकी तरफ़ दौड़ा. नही मुझे कुछ भी नहीं कर’वाना. णहीईए मुझ… मुझे जा…. जाने दो.गोरी फिर चीखी. क्या हुआ गोरी? लेकिन मैं उसकी तरफ़ बढता ही रहा. साहब आपका ये लू. लूंनद. ये लुंड तो बहुत बड़ा और मोटा है. ब्बाप्प्र्रीए बाप. यह तो गधे के जैसा है. नहीं यह तो मुझे चीर देगा. आओ गोरी. घबराऊ मत. असली मोटे और मजबूत लुंड ही योनी को चीर पाते हैं. गौर से देखो इसे छूकर देखो. इस’से प्यार करो और फिर देखो ये तुम्हें कित’न पागल कर देगा. डॉक्टर साहब. है तो बड़ा ही प्यारा. और बेहद सुंदर मुस्तांद सा. मेरा तो देखते ही इसे चूमने का मन कर रहा है. ऊउफ्फ्फ्फ़. कितना बड़ा है. पर साहब ये मेरी छूट मैं कैसे घुस पायेगा इतना मोटा. मैं तो मर जाऊंगी. राजन का लुंड तो इसके सामने बहुत छोटा है जब वो ही नहीं जाता तो. ये कैसे.

यही तो मरद की सम्भोग कला कौशूल होता है मेरी रानी. छूट खोलना और उसे ढंग से चोदना. हर मरद के बस की बात नहीं. वो भी तेरी छूट जैसी. कुंवारी. करारी. तू डर मत सुरु मैं थोड़ा सह लेना बस फिर देखना तू चुद्वाते चुद्वाते थक जायेगी पर तेरा मन नहीं भरेगा. चल अब आ जा मेरी जान. अब और सहा नहीं जा रहा. मेरे लुंड से खेलो मेरी रानी. कह कर मैंने उसे उठा लिया बाँहों मैं. और बिस्तर पर लिटा दिया. उसकी छूट ही नहीं बल्कि घुटनों तक झांघा भी भीग चुकी थी. बूब्स एकदम सॉलिड और बड़े बड़े हो गए थे. साँस के साथ ऊपर नीचे. साँस जोर जोर से चल रही थी.

(TBC)…

डॉक्टर साहिब : एक रसीली असली कथा भाग ४

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मैं बिस्तर पर चढा और उसके पेट पर बैठ गया. उन्नत उठे बूब्स के बीच मैं मैंने आपने लंबे खड़े लुंड तो बिठा दिया और दोनों बूब्स हथेली से दबा दिए. मेरा लुंड बूब्स के बीच मैं फँस गया. उँगलियों से बूब्स के निप्प्ले रगड़ते हुए मैं बूब्स को मसलने लगा और लुंड से उसके संकरे क्लेवागे को फुक्क करने लगा. उप स्ट्रोक मैं लुंड का लाल हेड नंगा होकर उसके लिप्स से तौच करता और डाउन स्ट्रोक मैं वल्ली की चुदाई. उतेजना मैं आकर गोरी ने ज्यों ही चिल्लाने के लिए लिप्स खोले ही थे की मेरे लुंड का हेड उसमें जाकर अटक गया और वो गो. गो. गू. गूओ. की आवाज़ करने लगी.

मैंने और जोर लगाया ऊपर को तो लगभग आगे से २ -३ इंच लुंड उसके मुंह मैं घुस गया. थोडी देर की कशमकश के बाद मोशन सेट हो गया. और मैं जैसे स्वर्ग मैं था. लुंड ने स्पीड पकड़ ली थी. गोरी के मुंह भी हेड को मस्त चूस रहा था. और शाफ्ट उंदर तक जा कर उसके गले तक हित कर रही थी. बूओब्स बड़े विशाल हो गए थे. आब मैं हल्का सा उठ कर आगे को सरका और गोरी के बूब्स पर बैठ गया. और मैंने जितना पोस्सिब्ले था लुंड उसके मुंह मैं घुसा दिया. मेरी झांघाओं के बीच कसा उसका पुरा बदन जैसे बिना पानी की मछली की तरह तड़प रहा था.
थोडी देर के बाद मैंने लुंड को निकला और आब गोरी ने मेरे दोनों एग्गस बराबर तेस्तिक्लेस को चाटना सुरु किया. बीच मई वो पुरे एक फुट लंबे लुंड पर आपनी जीभ फिरती तो कभी सुपदे को चाट लेती. थोडी देर के बाद मैंने ६९ की पोसिशन ले ली तो उसे मेरे कम अंगो और आस पास के एरिया की पुरी एक्सेस मिल गई अब वो मेरे चुत्तर भी चाटने लगी.

मैंने भी गांड का छेड़ उसके मुंह पर रख दिया. उसने बड़े प्यार से मेरे चुत्तर को हाथों मैं लिया और मेरी गांड के छेड़ पर जीभ से छठा. इस बीच मैंने भी उसकी छूट को आपनी जीभ से छठा और चोदा. पर वाकई उसकी छूट बड़ी कासी थी जीभ तक भी नहीं घुस प् रही थी उस मैं. एक बार तो मुझे भी लगा की कहीं वो मर न जाई मेरा लुंड घुस्वते समाया. फिर मैंने उसे पलता कर के उसके बड़े बड़े गोल गोल चुत्तर भी चुसे और चाते. आब गोरी बड़े जोर जोर से सिसकारी भर रही थी और बीच बीच मैं चिल्ला भी उठती थी. वो मेरे लुंड को दोनों हाथों से पकडे हुए थी और आब काफी जोर जोर से चिल्लाने लगी थी. डॉक्टर साहब. छोड़ दो मुझे. चढ़ जाओ मेरे ऊपर. घुसा दो डॉक्टर साहब. दया करो मेरे ऊपर. नहीं तो मैं मर जाऊंगी. चाहे मैं मर ही जाऊं पर अपना ये मोटा सा लोहे का रोड मेरे उंदर दाल दो. देखो साहब मेरी कैसी लाल हो गई है. गरम होकर. इसकी आग ठंडी कर दो साहब आपने हथोडे से. वह क्या मरदाना मस्त लुंड है डॉक्टर साहब आपका. कोई भी लड़की देखते ही मतवाली हो जय और अपने कपडे खोलकर आपके बिस्तर पर लेट जय. आओ साहब आ जाओ घुसा दो. ऊऊउफ़्फ़्फ़्फ़्फ़.

मेरा लुंड भी आब कामुकता की साडी हदें पर कर चुका था. मैं उसकी टांगों के बीच मैं बैठा और उसकी टांगों को हवा मैं व् शपे की तरह पुरी खोल कर उठाया और फिर उसकी कमर पकड़ उसकी छूट पर अपने लौडे को रखा और आहिस्ता से पर जरा कास कर दबाया. छूट इतनी लुब्रिकातेद थी की लुंड का हेड तो घुस ही गया. आह. मर्ग्गई. !! मैं मर गई. दोक्टूर्र्र स्साह्ह्ह्हाआब्ब्ब. घबराऊ नहीं मेरी जान. और मैंने लुंड को हाथ से पकड़ थोड़ा और घुसाया. वो मुझे ढाका देने लगी वो चिल्ला भी रही थी दर्द के मरे. तब मैंने उसे जबरदस्ती नीचे पटककर. उसपर लेट गया. अपनी छत्ती से उसके बूब्स को मसलते मसलते आधे घुसे लुंड को एक जबरदस्त शोट मारा. वो इतनी जोर से चीखी जैसे किसी ने मर ही डाला हो. उसका शरीर भी तड़प उठा. और उसने मुझे कास कर जकड भी लिया था. मेरे लुंड का करीब ७ इंच उंदर घुसा हुआ था. और शायद उसकी कौमार्य की झिल्ली जो तनी हुई थी और अभी पत्नी बाकि थी. थोडी देर बाद जब वो शांत सी हुई तो बोली.

डॉक्टर साहब मुझे छोड़ दो. मैं नहीं सह पूंगी आपका लुंड. मैंने उसके हून्थों पर अपने हूनथ रखे और एक जबरदस्त किस दिया जिसमें उसके कठोर बूब्स बुरी तरह कुचल गए थे. उसकी लम्बी बहूँ ने एक बार फिर मुझे लपेट लिया और उसकी टांगें भी मेरी टांगों से लिपट रही थी. जैसे ठीक से चुदने के लिए पोसिशन ले रही हो. थोडी देर मैं जब मुझे लगा की वो दर्द भूल गई है तो अचानक मैंने लुंड को थोड़ा सा बहार निकलते हुए एक भरपूर शोट मारा. लुंड का ये प्रहार इतना शक्तिशाली था की वो पस्त हो गई. एक और चीख के साथ. एक हलकी सी आवाज़ के साथ उसका कौमार्य आज फट गया था, शादी के एक साल बाद वो भी एक दुसरे मरद से और इस प्रहार से उसका ओर्गास्म भी हो गया. उस’की छूट से रस धार बह निक’ली और बुरी तरह हांफ रही थी.

अब गोरी की छूट पूरी लासिली थी और मैं अभी तक नहीं झारा था. मैंने जोर दार धक्कों के साथ उसे छोड़’न शुरू किया. उस’की टाइट छूट की दीवारों से रगड़ खाके मेरा लुंड छीला जा रहा था. लेकिन मैं रुका नहीं और उसे बुरी तरह छोड़’ता रहा. फिर मैंने लुंड उस’की छूट से खींच लिया और लुंड एक आवाज़ के साथ बाहर आ गया जैसे सोडा वाटर की बोत्त्ले खोली हो. फिर मैंने उसे डोगग्य स्टाइल में कर दिया और पीछे से लुंड उस’की छूट में दाल उसे छोड़’ने लगा. अब गोरी भी मस्ती में आ गयी और मुझे जोर से छोड़’ने के लिए उक’साने लगी. छोड़ो मुझे. डॉक्टर साहब. फाड़ दो मेरी. डॉक्टर साहब. छोड़ना मत मुझे. बुरी तरह. पहाड़ दो मुझे. और जोर से छोड़ दो मुझे. मैं दासी हूँ आपकी. आपकी सेवा करूंगी. रोज रात दिन आपके सामने बिल्कुल नंगी होकर रहूंगी. आपके लिए हमेशा तैयार रहूंगी. और जब जब आपका लुंड चाहेगा तब तब चुदवाने के लिए आपके बिस्तर पर लेट जाऊंगी. पर मुझे खूब छोड़ो साहब. और जोर से और तेजी से छोड़ो साहब. उस रात मैंने गोरी को दो बार चोदा. दूसरे दिन दोपहर में थाकुरें क्लीनिक में अ गयी. मैंने उसे बताया की चेक उप हो गया है और शाम तक छोटा सा ऑपरेशन हो जाएगा और कल आप’की बहु आप’के घर चली जायेगी. थाकुरें संतुस्ट होकर वापस हवेली चली गयी.

आज रात गोरी ख़ुद उतावली थी की कब रात हो. उसे भी पता था की कल उसे वापस हवेली चले जाना है और आज की रात ही बची है सच्चा मजा लूटने का. उसने आज जैसे मैंने चाहा वैसे कर’ने दिया. एक दूसरे के अंगों को हम दोनों खूब चूसे, प्यार किए सहलाए और जी भर के देखे. फिर मैंने गोरी को तरह तरह से कई पोस में चोदा. साथ में आने वाले दिनों में उसे अपने ससुराल में कैसे रह’न है और क्या कर’न है सब सम’झा दिया. दूसरे दिन राजन भी शहर से आ गया. मैंने उसे समझा दिया की गोरी का ऑपरेशन हो गया है.तो डॉक्टर साहब गोरी अब माँ बनेगी न? हाँ पर तुम जल्द बाजी मत कर’न. अभी एक महीने तो गोरी से दूर ही रह’न. और हाँ इसे बीच बीच में यहाँ चेक उप के लिए भेज’ते रह’न. यह बहुत साव’धानी का काम है. राजन ने कुछ असमंजस से हाँ भरी. फिर वह गोरी को ले गया. गोरी मेरे प्लान के अनुसार बीच बीच में क्लीनिक में आती रही. मैं उसे शाम के वक्त बुलाता जब गाँव के मरीज नहीं होते. रात ८ – ९ बजे तक उसे रख उसकी खूब चुदाई कर’ता. गोरी भी खूब मस्ती के साथ मुझ से चुद’टी.

दो महीने बाद गोरी के गर्भ ठहर गया. मैंने गोरी को समझा दिया की वह राजन से अब चुदवाये. उसकी छूट को तो मेरे १०” के लुंड ने पहले ही भोस’दा बना दिया था जहाँ अब राजन का लुंड आराम से चला जाता. राजन भी बहुत खुश था की डॉक्टर साहब के कारण ही अब वह अपनी बीवी को छोड़ पा रहा है. गोरी पह’ले ही मेरी दीवानी बन चुकी थी. थाकुरें को जब पता चला की गोरी के पान’व् भरी हो गए हैं तो उस’ने क्लीनिक में आ मेरा शुक्रिया अदा किया. में तो खुश था ही और अब किसी दूसरी गोरी की उम्मीद में एपी’न क्लीनिक चला रहा हूँ.

(TBC)…

घर की बात है

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मैं आपको अपने बारे में बता दूँ। मेरा नाम अमित है और मैं 19 साल का हूँ। मेरे घर में 4 सदस्य हैं। मेरी मम्मी और पापा और मैं और मेरी बहन रेखा। यह कहानी मेरे और मेरी बहन के बीच हुए सेक्स की कहानी है।

अब मैं आपको अपनी बहन के बारे में थोड़ा बता दूँ। वो 20 साल की है और बहुत सेक्सी है। बिलकुल रान्ड लगती है। उसका फ़िगर 34-26-38 है। मैं जब भी उसे देखता हूँ तो मेरा लन्ड फ़ुदकने लगता है। मेरा लन्ड हमेशा उसको चोदने को तड़पता रहता। लेकिन वो मेरी बहन है इसलिये अपने हमेशा मुठ मार के रह जाता। लेकिन जब से मैंने अन्तर्वासना को पढ़ना शुरु किया तो मुझे लगा कि बहनों को चोदने में कोई बुरी बात नहीं है। आखिर वो भी तो लड़की है, उसे भी तो एक लन्ड की जरुरत है, फ़िर चाहे वो लन्ड़ उसके भाई का ही क्यों न हो।

फिर मैंने अपना मन बदला और अपनी बहन को चोदने का मौका खोजने लगा। इसी बीच मुझे जब मौका मिलता तो मैं रेखा की ब्रा और पैन्टी पहनकर घर में घूमता। ऐसा करने में मुझे बड़ा मजा आता है। (कभी आप भी करना)

एक दिन जब घर पर कोई नहीं था तो मैंने सोचा कि चलो रेखा की ब्रा और पैन्टी पहनते हैं। मैं ब्रा और पैन्टी पहनकर घर में घूम रहा था कि तभी अचानक रेखा आ गई। मैं दो मिनट के लिये स्तब्ध रह गया और मेरे होश उड़ गये थे। रेखा मुझे देखती जा रही थी और मुझे लगा कि अब मेरी पोल खुल गई। लेकिन जैसा मैंने सोचा वैसा हुआ नहीं, रेखा तो जोर जोर से हँस रही थी।

मुझे थोड़ा अटपटा लगा और मैं कमरे में भाग गया। थोड़ी देर के बाद मैं उसके कमरे में उसकी ब्रा और पैन्टी देने गया। वहा मैंने देखा कि वो अपने कपड़े बदल रही है। रेखा की पीठ बिल्कुल नंगी थी।

मुझे देखकर उसने कहा- अच्छा हुआ कि तुम आ गये, मुझे मेरी ब्रा और पैन्टी चाहिये थी !

फिर उसने मुझ रोका और पूछा- तुम मेरी ब्रा और पैन्टी क्यों पहनते हो?

मैंने कहा- बस यूँ ही ! मुझे अच्छा लगता है तुम्हारे कपडे पहनना, लेकिन तुम माँ से कुछ मत कहना !

रेखा ने कहा- नहीं कहूँगी, लेकिन मुझे एक बात बताओ- क्या तुम्हें सिर्फ़ मेरी ब्रा-पैंटी ही अच्छी लगती है, मैं नहीं?

मैंने कहा- नहीं ऐसी बात नहीं है, तुम तो मेरी बहन हो, और बहन तो सभी को अच्छी लगती है।

रेखा ने कहा- अच्छा, तो तुम मेरा एक काम करोगे?

मैंने कहा- कौन सा काम?

फिर रेखा काफ़ी देर तक खामोश रही और थोड़ी देर बाद बोली- यह काम तुम कर सकते हो, लेकिन शायद तुम नहीं करोगे !

मैंने कहा- तुम कहो तो जरा ! तुम मेरी बहन हो और तुम्हारा हर काम मैं करुंगा, मैं तुम्हारी राखी का फ़र्ज निभाउंगा।

यह कहकर मैंने माहौल को हल्का करने की कोशिश की। लेकिन मुझे विश्वास नहीं हुआ जो उसने कहा।

रेखा ने मुझ से कहा- क्या तुम मुझे चोद सकते हो? अभी !

यह सुनते ही अचानक मैं डर गया और मैं रेखा से थोड़ा दूर हो गया।

मैंने कहा- यह क्या कह रही हो तुम? तुम मेरी बहन हो और कोई भी भाई अपनी बहन को नहीं चोदता है !

रेखा हँसते हुए बोली- अपनी बहन की ब्रा और पैन्टी पहनते हुए तो तुम्हें यह ख्याल नहीं आया कि मैं तुम्हारी बहन हूँ?

मैंने थोड़ा ठण्डे दिमाग से सोचा कि रेखा सही कह रही है और ऐसा मोका मुझे फिर नहीं मिलेगा। फिर भी मैंने यूँ ही कहा कि यह गलत है।

उसने कहा- इसमें कोई बुराई नहीं है, किसी को कुछ पता नहीं चलेगा, घर में कोई नहीं है, तेरे पास लण्ड है और मेरे पास चूत है ! जल्दी कर मेरे भाई ! लूट ले आज अपनी बहन की इज्जत !

रेखा के इतना सब कहने पर भी मैंने उससे कहा- मैं यह नहीं कर सकता, तुम मेरी बहन हो।

और इतना कहने के बाद मैं अपने कमरे में चला गया और मैं अपने आप को कोसता रहा कि मैंने अपनी बहन को चोदने का सुनहरा मौका खो दिया। लेकिन कुछ देर बाद मेरे कमरे के दरवाजे के नीचे से एक कागज (चिठ्ठी) आया। उस पर कुछ लिखा था, जिसे पढ़कर मुझे बहुत गुस्सा आया।

उस पर लिखा था- मेरे प्यारे भैया अमित, आज आपने यह साबित कर दिया कि आप कभी किसी लड़की को नहीं चोद सकते, भले ही वो आपकी बहन ही क्यों ना हो ! क्योंकि आप नपुंसक हो। आप में वो ताकत ही नहीं है जिसकी एक लड़की को जरुरत होती है। मुझे यह कहने में ज़रा भी शर्म नहीं कि मेरा भाई नामर्द है।

घर में अकेली अदिति

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बात तबकी है जब मैं बारहवीं में था, क्यूंकि मैं एक प्राइवेट स्कूल में था तो वहाँ बहुत आजाद ख्यालों वाले बच्चे ही ज्यादा थे। हमारी कक्षा में एक लड़की थी अदिति।

मैं मन ही मन उसे चाहता था पर यह नहीं जानता था कि वो भी मुझे उतना ही चाहती है।

यह बात मुझे उसकी एक दोस्त से पता चली तो मैंने भी समय न बर्बाद करते हुए उससे अपने प्यार का इजहार कर दिया। उसने भी तुरंत ही हाँ कर दी।

अब हम मिलने लगे एक दूसरे से, फ़ोन पर घंटों बात होने लगी, अगले छः महीनों में हम दोनों एक दूसरे के पास आ गए थे। हमारी बोर्ड की परीक्षाएँ जब खत्म हुई तो हम लोगों का मिलना जुलना बढ़ गया।

एक दिन उसने बताया कि वो दो दिन के लिए घर में अकेली है और उसने मुझे अपने घर बुलाया। जब मैं उसके घर पहुँचा तो उसने एक नीले रंग का टॉप और काले रंग की जींस पहनी हुई थी, वो इतनी सुन्दर लग रही थी कि मैं क्या बताऊँ।

हम दोनों एक दूसरे से गले मिले और एक दूसरे को चूमा। फिर हम लोग उसके कमरे में गए। उसका कमरा बहुत ही सुन्दर बना हुआ था। हम लोग बिस्तर पर एक दूसरे के बगल में बैठ गए और बातें करने लगे। अचानक ही क्या हुआ कि वो मेरी गोद में लेट गई। वो मेरे लण्ड के ऊपर ही लेटी थी। मेरा लण्ड खड़ा होने लगा। मेरा मन भटक गया और मेरा हाथ उसकी चूचियों पर पहुँच गया।

वो कहने लगी- क्या कर रहे हो?

तो मैंने कहा- बस कुछ मन कर रहा है।

तो उसने कहा- तो रुके क्यूँ हो?

उसके मुँह से यह सुन कर तो जैसे मैं खुशी से फ़ूल कर कुप्पा हो गया। मैंने उसे लेटाया और उसके होंठ चूसने लगा। क्या रसीले होठ थे उसके। वो गर्म होने लगी थी। मैंने अपना हाथ उसके टॉप में डाला, वाह ! क्या मस्त चूचियाँ थी उसकी।

मैं उन्हें दबाने लगा तो उसने कहा- खुद ही सब करोगे क्या?

इतना कहा नहीं उसने कि उसने मुझे पलट दिया और मेरी जींस खोल कर नीचे कर दी और मेरी चड्ढी के ऊपर से मेरे लौड़े से खेलने लगी।

मैंने कहा- तुम्हें तो बहुत पता है?

तो उसका जवाब सुन कर मैं दंग रह गया। उसने कहा- तेरे से चुदने के लिए ही तो इतने दिन से तड़प रही थी ! बस मेरी प्यास बुझा दे।

तब मुझे पता लगा कि वो कितनी बड़ी चीज है और वो मुझे प्यार नहीं करती थी बल्कि केवल चुदना चाहती थी।

मैंने भी सोचा कि ठीक है चोदने को माल तो मिल ही रही है।

मैंने उसे लेटाया और उसके सारे कपड़े उतार दिए। वो केवल पैंटी में हसीन लग रही थी। मैंने उसकी चूचियाँ चूसनी शुरू की। मेरा लण्ड और कड़क होने लगा। मैंने फिर उसकी पैंटी निकाल दी। उसकी चूत पर बहुत बाल थे, मैंने पूछा- तुम काटती नहीं क्या?

तो उसने कहा- बहुत दिन से काटे नहीं !

मैंने उसकी चूत देखी, बहुत ज्यादा गीली थी, मैंने उसे चाटा, बहुत अच्छा स्वाद था। मैं उसे अपनी जुबान से चोदने लगा, वो पागल सी होगी। उसने मेरा मुँह दबा दिया अपनी चूत पर और वो झड़ गई। मैंने उससे कहा- मेरा लण्ड चूसो !

तो उसने कहा- आ लेट जा मेरे राजा !

और उसने मेरा लण्ड चूसना शुरू किया। वो बहुत अच्छे से चूस रही थी। उसने मेरा लण्ड अपने मुँह से निकाला और कहा- अब चोद दो बस ! अब नहीं रहा जाता !

तो मैंने भी कहा- लेट जा मेरी रानी।

वो बिस्तर पर लेट गई। मैंने उसका एक पैर अपने कंधे पर रखा और अपना लण्ड उसकी चूत के मुँह पर रखा और हल्का सा जोर लगाया पूरा लण्ड उसकी चूत में सरकता चला गया। मैंने उसे धीरे धीरे चोदना शुरू किया।

वो आह आह की आवाजें निकाले जा रही थी और मैं उसे चोद रहा था।

उसने कहा- और जोर से चोदो ! मेरा निकलने वाला है !

तो मैंने जोर से उसे चोदना शुरू किया। थोड़ी ही देर में उसका सारा पानी निकल गया। पर मैंने उसे चोदना जारी रखा, थोड़ी ही देर में मेरा भी निकलने ही वाला था तो मैंने कहा- कहाँ निकालूँ?

तो उसने कहा- मुँह में ! चूत में मत निकालना।

मैंने तुरंत अपना लण्ड निकला और उसके मुँह दे दिया। वो उसे मुँह में लेकर चूसने लगी और थोड़ी ही देर में उसका मुँह गर्म-गर्म पानी से भर गया।

हमारा ये चुदम-चुदाई का खेल फिर चलता ही रहा। अब उसके घर वाले जब भी बाहर जाते वो मुझे बुला लेती।

(TBC)…

घर में अकेली अदिति भाग २

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एक दिन की बात है मैं उसे चोद रहा था कि अचानक उसकी छोटी बहन जो ग्यारहवीं में थी स्कूल से जल्दी लौट आई। उसके आने से हम दोनों की हालत ख़राब हो गई।

उसने अदिति से कहा- मैं मम्मी-पापा को सब बता दूंगी !

तो अदिति ने कहा- मत बताना, मैं हाथ जोडती हूँ।

तो थोड़ा सोचने के बाद वो बोली- ठीक है, पर मुझे भी वो करना है जो आप कर रही थी।

उसका कहना ही था कि मेरा लण्ड जो डर के मारे बैठ गया था दुबारा तन गया।

अदिति ने कहा- आओ, जरा इसकी भी चुदाई कर दो।

तो पहले मैं बता दूँ कि श्रुति, यानि अदिति की बहन सुन्दर तो बहुत थी। वो अपने स्कूल के कपड़ों में थी, सफ़ेद शर्ट, नीली स्कर्ट, बेल्ट, काले जूते। मैं उसके पास गया और उससे पूछा- तुमने पहले किया है क्या?

तो उसने कहा- नहीं !

तो मैं मन ही मन खुश हुआ कि एक कुंवारी चूत मिलेगी।

मैंने अदिति से कहा- जरा देखना इसे दर्द न हो।

मैंने उसे अपनी गोद में बैठाया और उसे चूमने लगा। क्यूंकि वो स्कूल से आई थी तो वो पसीने से भीगी थी पर उसकी पसीने की गंध भी मुझे बहुत उत्तेजित कर रही थी। मैंने अपना हाथ उसकी स्कर्ट में डाला और उसकी मुलायम मुलायम जांघों को सहलाने लगा। वाह क्या जांघे थी उसकी !

मैंने उसकी बेल्ट और स्कर्ट उतार दी। उसने काली पैंटी पहनी थी। इतने में अदिति ने उसकी शर्ट और ब्रा भी उतार दी, उसकी चूचियाँ छोटी थी पर बहुत प्यारी थी।

अदिति तब तक उसके होंठ चूस कर उसे गर्म करने लगी। मैंने उसे पूरा नंगा कर दिया। उसकी चूत पर बहुत बाल थे जैसे उसने कभी काटे ही न हो। मैंने फिर भी उसकी चूत चाटी। चूत चाटनी शुरू ही की थी कि मानो उसे कर्रेंट लग गया, उसने जोर से आह की। शायद उसे अच्छा लगा। मैं जोर जोर से चाटने लगा।

थोड़ी देर बार अदिति ने उससे कहा- लण्ड चूसो !

तो उसने मना कर दिया- उसे भी कोई चूसता है क्या?

तो अदिति ने लण्ड चूस कर उसे दिखाया। थोड़ी देर बाद श्रुति ने भी मेरा लण्ड चूसा। उसे फिर मैंने बाँहों में उठाया और बिस्तर पर ले गया। वो देखते ही बनती थी, मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर रगड़ने लगा वो आह-आह कर रही। मैंने अदिति को इशारा किया और उसने श्रुति का मुँह जोर से पकड़ लिया और मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में डाल दिया। उसकी आँखें आँसुओं से भर गई, उसकी चूत से खून निकलने लगा। अब मैं धीमे धीमे लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा। उसे भी अब मज़ा आ रहा था। क्यूंकि वो पहली बार कर रही थी वो थोड़ी ही देर में स्खलित हो गई। पर मेरालण्ड तो अभी भी खड़ा था। तो मैंने अदिति को चोद कर अपने लण्ड का पानी निकाला।

उसके कुछ दिनों तक मैं दोनों को चोदता रहा। पर उनके पापा का ट्रान्सफर हो जाने के कारण वो शहर के बाहर चली गई। आज दो साल के बाद भी मुझे उनकी याद आती है। पर अब मेरे से चुदने वालों की सूचि बहुत बढ़ गई।

मेरे बॉयफ्रेंड के साथ पहली रात

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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम गौरी है और मेरी उम्र 23 साल है। मेरे फिगर का साईज 32-26-30 है और में दिखने में बहुत सेक्सी हूँ। मुझे देखकर बहुत से लड़के मुझे लाईन मारते है, लेकिन में उन्हें आगे नहीं बढ़ने देती, क्योंकि मेरा एक बहुत अच्छा दोस्त है और वो ही मेरे लिए सब कुछ है। दोस्तों में इस वक्त एक प्राइवेट कम्पनी में नौकरी कर रही हूँ और मेरा एक बॉयफ्रेंड है जिसका नवीन है, वो एक बहुत बड़ा बिजसमेन है, वो 26 साल का है। दोस्तों हम दोनों के रिश्ते को पूरे तीन साल हो चुके है, लेकिन हम आज तक एक साथ रात को सोए नहीं, हाँ हमारे बीच किस और दूसरे काम उनके घर पर ही होते रहते है, लेकिन मुझे बहुत अच्छी तरह से पता है कि जो मज़ा रात को है वो दिन में नहीं है। तो दोस्तों में आज आप सभी को मेरे साथ हुई एक सच्ची बात बताने जा रही हूँ जिसने मेरा पूरा सोचने समझने का नजरिया ही बदल दिया, मेरे जीने का हर एक तरीका उस घटना के बाद बिल्कुल बदल सा गया और आज में वही आप सभी को बताने जा रही हूँ और में उम्मीद करती हूँ कि इसको पढ़कर आप सभी को बहुत मज़ा आएगा, क्योंकि यह मेरी साथ हुई एक सच्ची घटना है कोई झूटी कहानी नहीं है और वैसे भी सेक्स तो सभी करते है, लेकिन हमारे बीच जो उस रात को हुआ में उसे सेक्स नहीं बल्कि हमारा एक दूसरे के लिए प्यार कहती हूँ और अब उस बात की तरफ आगे बढ़ती हूँ।

एक दिन मुझे अपनी कम्पनी के एक जरूरी काम के सिलसिले में दिल्ली जाना पड़ा, दोस्तों उस वक्त मेरा और नवीन का एक छोटी सी बात को लेकर झगड़ा चल रहा था और वैसे हर किसी के बीच ऐसा छोटा मोटा झगड़ा होता रहता है, ठीक वैसा ही हमारे बीच हुआ था। में अकेली उसे बिना बताए दिल्ली चली गई, लेकिन जब यह बात नवीन को पता चली तो वो भी मेरे पीछे पीछे दिल्ली भाग आया और फिर उसने मुझे फोन करके में जिस होटल में रुकी हुई थी उस होटल का नाम पता पूछा और अब वो वहीं पर अपना एक दूसरा रूम लेकर रुकने लगा। फिर कुछ देर के बाद जब में अपने रूम से बाहर निकली तो मैंने अचानक से उसे अपने रूम के बाहर खड़ा हुए पाया और में उसे देखकर बहुत हैरान हो गई, दोस्तों मुझे उसके इस तरह अचानक से बिन बताए मेरे सामने आने पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था क्योंकि मैंने ऐसा कभी सोचा भी नहीं था कि वो मुझसे मेरी होटल का पता पूछकर इस तरह से ठीक मेरे सामने आकर खड़ा हो जाएगा? मैंने उससे बहुत आशचर्यचकित होकर पूछा क्यों नवीन तुम यहाँ कैसे? तो उसने कहा कि हाँ मैंने सोचा कि हमारे बीच का यह झगड़ा कब तक चलेगा अब इसे यहीं पर खत्म हो जाना चाहिए, में बस अब उसे यहीं पर खत्म करने आया हूँ और अब मैंने सोचा कि चलो ठीक है जो होगा देखा जाएगा, दोस्तों वो मेरी हर एक बात का जवाब मुस्कुराकर दे रहा था। फिर मैंने उसे अंदर बुलाया चाय, पानी पिलाया और उसके कुछ देर बाद हम दोनों अपनी बातें खत्म करके फिल्म देखने निकल गये।

उसने मुझे वहां पर बहुत बार किस किए और इसके बाद हमारी लड़ाई पूरी तरह यहीं पर खत्म हो गई थी और हम हंसी ख़ुशी वहां से एक दूसरे के हाथ पकड़े अपने होटल में पहुंच गए और रात को हम दोनों अपने अपने होटल रूम में चले गये, तभी अचानक से रात के करीब 12.30 मेरे रूम का दरवाजा किसी ने खटखटाया और जब मैंने दरवाजा खोलकर देखा तो वो नवीन था। अब मैंने उससे पूछा कि क्या हुआ? तो उसने मुझसे कहा कि में बहुत देर से सोने की कोशिश कर रहा हूँ, लेकिन पता नहीं क्यों मुझे नींद नहीं आ रही है? मैंने उससे कहा कि चलो अंदर आ जाओ, हम बैठकर बातें करते है। तो हम दोनों एक साथ बेड पर लेट गये और हमने अपनी बातें शुरू की और फिर कुछ देर बाद बातों ही बातों में एक बार फिर से हमारे बीच झगड़ा हो गया, में सो गई और जब में सुबह उठी तो मैंने देखा कि नवीन ने मुझे अपनी बाहों में भरा हुआ था और उसका एक हाथ मेरी गर्दन के नीचे से होता हुआ मेरी छाती पर था और उसका दूसरा हाथ मेरे पेट से होता हुआ मेरी कमर पर था। वो मुझसे पूरी तरह से लिपटकर सोया हुआ था और उसका मेरे लिए यह सब प्यार देखकर मेरा सारा गुस्सा पिघल सा गया और फिर हम दोनों ने पूरा दिन एक साथ हंसी ख़ुशी बिताया। दोस्तों अब बात आती है उस रात की उस रात हमारे बीच क्या हुआ जिसके बाद मुझे नवीन पर गुस्सा आ रहा था, लेकिन बाद में वो तुरंत प्यार में बदल गया? दोस्तों में जैसे ही बाथरूम से नहाकर बाहर निकली तो मैंने देखा कि नवीन की निगाहे मुझसे बिल्कुल भी हटने को तैयार नहीं थी, वो मुझे लगातार भूखी नजरों से देखे जा रहा था और फिर उसने मुझसे मुस्कुराकर कहा कि क्या बात है आज तुम बहुत सेक्सी दिख रही हो? दोस्तों मैंने उस वक्त बिना बाह की हॉट मेक्सी जो कि ज्यादा बड़े गहरे गले की थी और उसमे से मेरे बड़े बड़े बूब्स बाहर आने को बेकरार थे। में बिना कुछ बोले ही बेड पर जाकर लेट गई और और मैंने ए.सी चालू करके पास ही पड़ी एक चादर ओढ़ ली।

तभी नवीन ने मुझसे कहा कि इसे अपने इस जिस्म के ऊपर से हटाओ प्लीज, मुझे आज तुमको जी भरकर देखना है, मैंने कहा कि नहीं तुम अब यह सब बंद करो और बिल्कुल चुपचाप सो जाओ। अब हम दोनों सोने लगे, करीब रात के 1.30 बजे में बहुत गहरी नींद में थी और फिर मुझे कुछ ऐसा महसूस हुआ कि में बिल्कुल हैरान रह गई क्योंकि जब मेरी नींद खुली तो मुझे महसूस हुआ कि नवीन की उंगलियां मेरी पेंटी के ऊपर से मेरी चूत को छू रही है, लेकिन तब भी मैंने अपनी आखें बंद रखी और उसे ऐसा दिखाया कि में बहुत गहरी नींद में सो रही हूँ, थोड़ी देर बाद उसकी हिम्मत और जोश दोनों ही बढ़ने लगे और अब उसने मेरी पेंटी को एक साईड से थोड़ा ऊपर किया और अब वो अपनी उंगलियां धीरे धीरे मेरी चूत के ऊपर नीचे सहलाने लगा, लेकिन में अभी भी चुप रही क्योंकि मुझे उसके हाथों से मेरे बदन को छूना बहुत अच्छा लगा। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था इसलिए में वैसे ही पड़ी रही और मज़े लेती रही। फिर उसने दूसरे हाथ से उस चादर को हटा दिया और मुझे घूर घूरकर देखने लगा, मुझे देख वो अब गरम हो गया और उसने एक हाथ से मेरी पूरी पेंटी को नीचे सरका दिया और अब वो हल्के हल्के हाथों से अपनी एक ऊँगली से मेरी चूत को सहलाने लगा। तभी अचानक से उसका दूसरा हाथ मेरे बूब्स पर पड़ा और अब वो मेरे बूब्स को दबाने लगा, अब उसने मेरी मेक्सी को ऊपर से खोलकर थोड़ा नीचे सरका दिया और वो मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरे बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाने निचोड़ने लगा, लेकिन कुछ देर बाद उसे ऐसा करने से ज्यादा मज़ा ना आने के कारण उसने मेरी ब्रा को भी खोल दिया।

तो में अब बहुत शरमा रही थी, लेकिन में फिर भी वैसे ही चुपचाप पड़ी रही और अब उसने मेरा एक बूब्स अपने एक हाथ से मसलना ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया कुछ देर यह सब करने के बाद उसने अपने होंठो से मेरे एक बूब्स के निप्पल को चूसना शुरू करते हुए मेरी चूत के अंदर हल्की सी ऊँगली को अंदर डालकर धीरे धीरे करते हुए उसने दो इंच ऊँगली को अंदर कर दिया और अब अपनी ऊँगली को आगे पीछे करके उसने मेरी चुदाई को शुरू कर दिया था और में मचलने लगी, लेकिन अब मुझसे सोने का नाटक और नहीं हो पा रहा था तो में आहे भरने लगी और अपने एक हाथ से उसकी पेंट से उसके लंड को बाहर निकालकर उसे रगड़ने लगी तो उसने मुझे एकटक नजर से देखा और फिर ज़ोर से मेरे एक बूब्स पर ज़ोर से काट लिया जिसकी वजह से में बहुत ज़ोर से चीखी चिल्लाई आईईईईइ आआअहह। अब उसने मेरे दूसरे बूब्स को बहुत ज़ोर से निचोड़ना शुरू कर दिया और मेरी चूत में अपनी ऊँगली को एक इंच और अंदर कर दिया और अब उसकी ऊँगली मेरी चूत में करीब तीन इंच अंदर चली गई थी जिसकी वजह से मुझे बहुत तकलीफ़ और दर्द हो रहा था और में उस दर्द से करहाने लगी। उसने मेरा दर्द देखकर अपनी स्पीड को थोड़ा कम कर दिया, लेकिन कुछ देर बाद अचानक से उसने एक ज़ोर के झटके में अपनी पूरी उंगली को अंदर डाल दिया और में बहुत ज़ोर से चीखने, चिल्लाने लगी और उस दर्द से छटपटाने लगी।

(TBC)…


मेरे बॉयफ्रेंड के साथ पहली रात भाग २

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फिर उसने तुरंत मेरे होंठो को किस करके मेरी आवाज का बाहर निकलना बिल्कुल बंद कर दिया, मुझे अब धीरे धीरे मज़ा आने लगा और अब में आवाज़ निकालने लगी आह्ह्ह्हहह उफफफफफ्फ़ ऊऊऊओफ्ूऊ तो उसकी वजह से उसे अब और भी जोश चढ़ गया और अचानक से उसने अपनी दो उंगलियों को मेरी चूत में डाल दिया, लेकिन दोस्तों मेरी चूत अब तक वर्जिन होने की वजह उसकी वो दो उँगलियाँ एक इंच से ज्यादा अंदर नहीं गई, लेकिन वो उसी एक इंच में अपनी दो उंगली डालकर लगातार आगे पीछे करता रहा, मैंने उससे कहा कि नवीन मुझे बहुत दर्द हो रहा है प्लीज थोड़ा धीरे करो उह्ह्ह्हह् स्सीईईईई आईईई। फिर उसने मुझसे कहा कि तुम अभी यह थोड़ा थोड़ा दर्द सह लो वरना कुछ देर के बाद में तुम्हे एक साथ ज्यादा दर्द होगा और वैसे में धीरे धीरे करके तुम्हारी चूत का छेद बड़ा कर रहा हूँ, लेकिन अब मैंने उससे कुछ नहीं कहा और अब वो दो उंगली से मेरी चुदाई और एक बूब्स को चूस रहा था और दूसरे बूब्स को एक हाथ से दबा रहा था। दोस्तों अब मुझे उसकी उंगली से ज्यादा तकलीफ़ नहीं हो रही थी, लेकिन अब उसके ऐसा करने से मुझे मज़ा बहुत आ रहा था।

तभी उसने अचानक से अपना हाथ बाहर निकाल लिया और उठ गया, अब वो अपने एक एक कपड़े उतारकर पूरा नंगा हो चुका था और उसने मेरे भी सारे कपड़े उतार दिए और अब हम दोनों बिस्तर पर एकदम नंगे पड़े थे। उसने अब मुझे मेरे होंठो करीब पर पांच मिनट तक किस किया और फिर वो नीचे मेरी चूत पर पहुंच गया। अब वो मेरे दोनों पैरों के बीच में बैठा हुआ था और अब उसने मेरे दोनों पैरों को उठाकर अपने कंधो पर रख लिया जिसकी वजह से अब मेरी एकदम टाईट चूत ठीक उसके मुहं के पास थी और उसने धीरे से मेरी गीली चूत को किस किया और सूंघने लगा, वो मुझसे बोला कि वाह मज़ा आ गया और अब वो एकदम मदहोश हो चुका था। उसने मेरी चूत को चूसना शुरू किया और धीरे धीरे मेरी पूरी गीली चूत को चाट चाटकर सूखा कर दिया और पूरा जूस पी लिया और अब वो अपनी जीभ को मेरी चूत के अंदर तक डालने लगा। उसके ऐसा करने की वजह से मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। फिर मैंने उससे कहा कि प्लीज थोड़ा और अंदर उह्ह्हह्ह अह्ह्हह्ह्ह्ह हाँ थोड़ा और अंदर डालो। अब उसने अपनी पूरी जीभ को मेरी चूत के अंदर डाल दिया और अपनी जीभ से मेरी चूत को चोदने लगा और में आअहह हाँ और चूसो उफफफफफ्फ़ आईईईइ मचलने लगी।

दोस्तों उसने मेरी चूत को थोड़ी सी देर में चूस चूसकर एकदम लाल कर दिया था और अब मेरी सूखी चूत उसकी जीभ से चाटने की वजह से फिर से भीग गई थी और अब हम दोनों लेट गये थे। में नीचे और वो ठीक मेरे ऊपर। उसने मुझे पूरे शरीर पर किस किया और फिर अपना 8 इंचा का लंड बाहर निकालकर मेरी चूत पर सेट किया और फिर से लेट गया। मेरे होंठो पर उसने अपने होंठ रख दिए और अपनी जीभ को मेरे मुहं में डाल दिया और एक हाथ से बूब्स को दबाने लगा और उसने दूसरे हाथ को मेरी गांड के नीचे रख दिया। अब उसने अपना लंड मेरी चूत में एक इंच अंदर डाल दिया और वो थोड़ा आराम से धीरे धीरे सरकता हुआ अंदर चला गया, दोस्तों मुझे उसके लंड की गरमाहट से बड़ा मज़ा आया। फिर उसने अपने हाथ से मेरी गांड को भी ऊपर नीचे किया और अपने लंड को एक ज़ोरदार धक्का दिया और अब उसका लंड तीन इंच अंदर चला गया। में ज़ोर से चीखना चाह रही थी, लेकिन उसकी किस के कारण में कुछ बोल ना पाई और रोने लगी।

अब मुझे रोता हुआ देखकर वो डर गया और अब वो मुझसे पूछने लगा कि क्या हुआ? मैंने कहा कि मुझे बहुत दर्द हो रहा है। तो उसने कहा कि ठीक है तो रहने देते है और वो उठने लगा और लंड को बाहर निकालने लगा। दोस्तों मुझे पता था कि मेरे साथ साथ उसका भी चुदाई करने का बहुत मन है और में उसके मन की बात को मना कैसे करती? अब मैंने उससे कहा कि रुको, मेरा कहने का मतलब वो नहीं था जो तुम समझ गए और वैसे भी कभी ना कभी तो मुझे ऐसा दर्द होगा ही, तब भी तो मुझे उस दर्द को सहना पड़ेगा तो आज ही सही? फिर उसने बहुत खुश होकर मुझसे पूछा कि क्या तुम अब ठीक हो, क्या में आगे अपना काम कर सकता हूँ? तो मैंने भी कहा कि हाँ ठीक है तुम जैसे चाहो वैसे मेरे साथ करो, मैंने उसका हाथ ज़ोर से पकड़ा और फिर कहा कि हाँ अब करो तो उसने मेरी फिर से चुदाई शुरू कर दी और अब उसने पूरे जोश के साथ एक ज़ोरदार धक्का दिया जिसकी वजह से मेरी आखों के आगे अंधेरा सा छा गया और में दो तीन मिनट तक वैसे ही पड़ी रही। मेरे जिस्म से अब पूरी जान निकल चुकी थी और मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे किसी ने जलता हुआ गरम गरम नुकीला लोहा मेरी चूत में जबरदस्ती अंदर तक डाल दिया हो मुझे वो दर्द बहुत असहनीए हो रहा था। फिर उसका जो हाथ मेरी गांड के नीचे था उस पर उसे कुछ गरम गरम टपकता हुआ महसूस हुआ और जब उसने अपना हाथ बाहर निकालकर देखा तो उस पर बहुत सारा खून गिरा हुआ था।

उसे यह सब देखकर बहुत दुख हुआ और उसने मुझे तुरंत अपनी बाहों में भर लिया और फिर मेरे ऊपर से हटकर उसने मुझे आराम से बेड पर लेटा दिया और एक चादर को मेरे ऊपर डाल दिया और फिर वो वहां से उठकर सीधा बाथरूम में चला गया और फिर साफ करके जब वो वापस आया तो मुझे भी तब तक होश आ चुका था। मुझे होश में देखकर उसकी थोड़ी टेंशन कम हो गई। अब उसने मेरे पास मुझे माथे पर किस किया और फिर मुझसे पूछा कि क्यों तुम अब ठीक हो ना? मैंने कहा कि नहीं, अब भी मुझे थोड़ा थोड़ा दुख रहा है तो वो मेरे मुहं से यह बात सुनकर पास बेड पर लेट गया और मेरे सर को अपने हाथ पर रख लिया और दूसरे हाथ से उसने मेरी चूत जो कि अब तक पूरी तरह से फट चुकी थी वो उसने उसे अब धीरे धीरे सहलाना शुरू कर दिया था जिसकी वजह से करीब 30 मिनट के बाद मुझे आराम मिलने लगा और मेरा दर्द धीरे धीरे खत्म होने लगा, लेकिन दोस्तों उस रात के बाद जब में सोकर उठी तो में तीन दिन तक ठीक से चल भी ना सकी और उस चुदाई ने मेरी चाल के साथ साथ मेरी जिन्दगी को भी पूरी तरह से बदल कर रख दिया था। उसके बाद मेरे मन से चुदाई के समय होने वाले दर्द के डर को अब पूरी तरह से निकालकर हमेशा के लिए मुझसे दूर कर दिया था और अब में उसके साथ कभी भी चुदाई करने के लिए हमेशा तैयार थी ।।

धन्यवाद …

तीन गुंडों के साथ पहली रात

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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम रेशमा है और में 23 साल की हूँ। मेरा फिगर 34-28-36 है, में हैदराबाद की रहनी वाली हूँ। यह कहानी कई साल पहले की है जब में ग्रेजुयेशन के लिए किसी दोस्त के घर पर रह रही थी, उन दिनों में अपनी सहेली नसरीन के घर पर रहकर अपनी ग्रेजुयेशन कर रही थी। हम उनकी मम्मी और मौसी के साथ रहते थे, नसरीन के पापा हैदराबाद से बाहर काम करते थे और उसका भाई बोर्डिंग स्कूल में रहता था। घर पर कोई भी मर्द नहीं रहता था, नसरीन की मम्मी ने कह रखा था कि कोई भी लड़का घर पर ना आए, वो बहुत गुस्से वाली औरत थी। जब बारिश का मौसम था और हर दिन बारिश की वजह से शाम के बाद ही मौहल्ले में कोई बाहर घूमता भी नहीं था। इस बीच में ही एक दिन रात को ज़ोर से बिजली कड़कने लगी, हम सब नीचे वाले कमरे में सोए हुए थे, क्योंकि ऊपर के कमरे से पानी टपकता था। फिर अचानक से किसी ने दरवाजा खटखटाया तो नसरीन ने जाकर दरवाजा खोला। दो बहुत ही हट्टे-कट्टे आदमी बाहर खड़े थे।

फिर नसरीन ने पूछा कि आप क्या चाहते हो? तो पहला आदमी जो बहुत ही ख़तरनाक दिखने वाला था उन्होंने कहा कि हम शहर से होकर आ रहे थे कि बारिश में हमारी गाड़ी खराब हो गई, हमें थोड़ी मदद चाहिए। नसरीन बहुत ही भोली थी और बोली कि अरे आप तो पूरे भीग चुके है, आप ठहरो और में आपके लिए तौलिया ला देती हूँ। इतने में दूसरा आदमी घर के अंदर आ गया और बोला कि हमें आज रात यही पर गुजारने दो मोहतरमा, हमारे बड़े भाई गाड़ी में ठहरे हुए है उन्हें भी आना है। फिर उन्होंने यह बोलकर पहले वाले आदमी से कहा कि जा नावेद भाई जान को लेकर आ। फिर नसरीन तौलिया ले आई और कहने लगी कि मम्मी और मौसी गुस्सा हो जायेंगे, क्योंकि घर पर कोई भी बाहर के लोग आने की इजाज़त नहीं है।

फिर यह सुनकर दूसरा वाला आदमी जिनका नाम था महमूद था, वो गुस्सा हो गये और कहने लगे कि  इतनी रात को उन्हें गाड़ी में रुकना पड़ेगा और उनके भाईजान आ कर मम्मी से बात कर लेंगे। फिर मम्मी भी बाहर आई और उधर नावेद और उनके भाई जान भी आ गये, मौसी बहुत बीमार थी इसलिए वो बाहर नहीं आ पाई।

भाई जान : हम आपसे विनती करते है कि आज की रात हमें यहाँ पर रहने दे।

मम्मी भी जैसे दंग रह गयी और राज़ी हो गयी, अब रात काफ़ी हो चुकी थी मौहल्ले में किसी को पता नहीं चले इसलिए मम्मी ने मुझसे कहा कि सारे ख़िड़की और दरवाज़े बंद कर दे।

नसरीन दिखने में बहुत ही चिकनी थी, वो जब भी बाहर निकलती तो कॉलेज या मौहल्ले के लड़के उसे ताकते रहते थे, कई तो छेड़ते भी थे। अब नावेद शुरू से ही नसरीन को बड़ी हवस भरी नज़रों से देखे जा रहा था। फिर मम्मी ने सबके लिए खाना लगा दिया और में उनका हाथ बटाने में लग गयी। फिर खाना खाने के बाद उन सबने शुक्रिया अदा किया, लेकिन फिर मम्मी ने कहा कि घर में दो कमरे है इसलिए वो तीनों ऊपर वाले कमरे में सोए और सुबह होते ही चले जाए। फिर सब सो गये और में महमूद को दूध का गिलास देने गयी तो मुझे याद नहीं था कि मैंने हर दिन की तरह नाईट ड्रेस के नीचे सिर्फ़ ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी। फिर महमूद मुझे घूरने लगे और जब में झुकी तो वो मेरी चूचीयों की तरफ देखकर अपने होंठ चाटने लगे। फिर में पीछे मूडी, तो उन्होंने मेरी नाईट ड्रेस को पकड़ लिया और अपनी तरफ खींच लिया तो बाकी दो भाई हमारी तरफ देखने लगे, में शरमा गयी और जाने की कोशिश करने लगी। फिर उसने झट से एक चाकू निकाला और मेरी गर्दन पर रखकर बोले साली, रंडी चुपचाप मान जा नहीं तो तुझे काटकर बैग में डाल दूँगा।

अब में बहुत डर गयी थी और उसका साथ देने लगी। फिर उसने मेरी नाईट ड्रेस को उतारा और मेरी गर्दन और कान चाटने लगा। अब मुझे शर्म से अपने आप पर घिन आ रही थी। फिर मैंने शोर मचाने की कोशिश की तो उसने जोर से मेरी चूचीयाँ दबोच ली और में डर गयी। तो इतने में मुझे धीरे से नीचे से नसरीन की आवाज़ आई, वो मुझे रज्जो-रज्जो कह कर पुकार रही थी। में नहीं चाहती थी कि वो भी ऊपर आए, लेकिन वो मुझे ढूंढते हुए ऊपर आ गयी और जैसे ही उसने दरवाजा खोला, तो नावेद उस पर टूट पड़ा। अब हम दोनों की हालत एक जैसी थी, अब महमूद मुझे उल्टा लेटाकर मेरी पीठ चाट रहा था और मेरी चूचीयों को हाथ से सहला रहा था और एक हाथ में चाकू लेकर मेरी गर्दन पर रखा हुआ था और उधर नसरीन की हालत और भी ख़राब थी।

अब नावेद उसके कपड़े उतार कर उसकी जाँघो पर अपना मुँह डालकर बैठा था और बोले जा रहा था कि अगर किसी को इस बात का मालूम पड़ा तो हम किसी को मुँह दिखाने के लायक नहीं रहेंगे। फिर ऐसे ही चलता रहा। अब हम दोनों को महमूद और नावेद अपनी हवस का शिकार बनने लगे थे। फिर नावेद ने नसरीन की चूत पर ज़बरदस्ती अपना लंड घुसा दिया तो कुँवारी नसरीन दर्द से चीख पड़ी। अब पूरे फर्श पर खून बहने लगा था। अब में बहुत डर गयी थी और महमूद से विनती करने लगी कि वो मुझे ना चोदे। लेकिन वहाँ कौन किसकी सुनने वाला था? अब महमूद ने मेरी चूचीयों को चूस-चूसकर उन्हें पूरा भीगो दिया था और अब उनका लंड मेरी गांड की दरार से कमर तक तना हुआ था।

अब में रोने लगी थी और विनती करने लगी थी, लेकिन किसी ने एक ना मानी। अभी कमरे में तीसरा आदमी बशीर जो उम्र में हमसे बहुत बड़े थे, वो खड़े हो गये थे। फिर उन्होंने अपने लंड को बाहर निकाला और बोले कि इस भूखे शेर को खाना चाहिए। फिर मैंने उसका हाथ पकड़कर उसे रोकना चाहा, लेकिन वो मेरे सामने देखकर हँसने लगा, वो जानता था में झड़ गयी हूँ। तुम एक एकदम चालू किस्म की औरत हो, क्यों तुम तो रांड से भी बहतर हो है ना? तुम्हें तो अपने आपसे शर्म आनी चाहिए, वो अपने आपसे आश्वस्त होते और हंसते हुए बोला था। अब वो सच बोल रहा था, मेरा सिर शर्म के मारे झुक गया था और मैंने अपना चेहरा अपने हाथों से ढक दिया और रोने लगी। अब झड़ने की वजह से मेरे शरीर में अजीब सी चुभन पैदा हो गयी थी और बारिश की ठंडी बूँदें मेरे जिस्म को छेद रही थी, अब ठंडी हवा की वजह से मेरा पूरा बदन कांप रहा था। में सचमुच उस वक़्त एक बाजारू रंडी के समान लग रही थी। फिर अचानक से उसने मुझे धक्का दिया और मेरा हाथ पकड़कर मुझे घुटनों के बल लेटा दिया।

(TBC)…

तीन गुंडों के साथ पहली रात भाग २

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अब में और नसरीन दोनों डर गये थे, अब नसरीन के चिकने बदन को नावेद आइसक्रीम की तरह चाट  रहा था और बशीर भाई ने उसकी गांड में अपना मुँह डाल दिया था। अब वो ज़ोर से चीखने लगी थी,  लेकिन अब गरजते बादल और बिजली के कारण और ज़ोर से बारिश के कारण मौहल्ले में किसी को उसकी चीख सुनाई नहीं पड़ी। फिर महमूद मेरे होंठ चाटने लगा और मेरी गांड को अपने हाथों से दबाने लगा। इतने में बशीर ने मेरी तरफ नज़र डाली और मेरी चूचीयों को चूसने लगा, क्या कहूँ? अब तो में जैसे स्वर्ग में थी, अब में अपने मुँह से सिसकारियां लेने लगी थी। अब नसरीन भी चौंकते हुए मेरी तरफ देखने लगी थी, फिर बशीर ने महमूद से कहा कि इसकी चूत को चाट ले महमूद, बड़ी कड़क चीज़ है। अब बाहर तूफान बहुत ही जोर से आ रहा था और अंदर पाँच नंगे बदन हवस की पूजा कर रहे थे।

फिर बशीर ने मुझसे बोला कि अबे ओ रंडी बोल दे घर के पैसे और जेवरात किधर रखे है। अब में बहुत डर गयी थी, महमूद अब भी मेरी गर्दन पर चाकू रखे हुआ था। फिर मैंने कहा कि हम दोनों को जाने दोगे तो जेवरात देंगे, लेकिन मुझे पता नहीं था कि जेवरात कहाँ रखे है? फिर बशीर मेरे मुँह में अपना लंड डालकर बोला सही बोलेगी तो जान नहीं लेंगे। अब यह कह कर उसने मुझे उठाया और नीचे ले जाने लगा। अब में महमूद से छुटकारा पाकर साँस लेने लगी थी, लेकिन बशीर को जैसे मेरी परवाह ही नहीं थी। अब वो मेरे बाल पकड़कर मुझे नीचे ले जाने लगा और नीचे चलते ही में मम्मी को ज़ोर-जोर से बुलाने लगी और रोने लगी। फिर बशीर ने मेरे मुँह पर हाथ रखा और बोला कि खबरदार जो किसी को बुलाया तो जान ले लूँगा कुतिया। फिर इतने में मम्मी जाग गयी और बाहर आ कर हम दोनों को नंगा देखकर चीख पड़ी। बशीर ने मम्मी की गर्दन को ज़ोर से पकड़ा तो वो साँस नहीं ले सकी और छटपटा उठी और उसका दुपट्टा भी नीचे गिर गया और उसके कमीज़ के नीचे के गोल, बड़े-बड़े बूब्स साफ दिखने लगे।

फिर बशीर ने हम दोनों को नीचे लेटा दिया। अब डर के मारे मम्मी की आवाज़ नहीं निकल रही थी और वो साँसे भी जोर-जोर से ले रही थी। फिर बशीर ने मेरे हाथ पर्दे से बाँध दिए और मम्मी से बोला कि जल्दी बता किधर है पैसे और जेवरात? तो मम्मी ने हाथ उठाकर अलमारी की तरफ इशारा किया। फिर बशीर मम्मी को पकड़कर अलमारी के पास ले गया और बोला कि चाबी निकाल। तो मम्मी अपनी कमीज़ के अंदर से चाबी निकालने लगी। अब बशीर से और रहा नहीं गया और उसने मम्मी की कमीज़ फाड़ दी, वो अंदर कुछ नहीं पहने हुई थी और इसमें बशीर उसके बूब्स देखकर दंग रह गया। फिर वो मम्मी के बूब्स चूसने लगा और मम्मी उसकी शर्ट पकड़कर रोने लगी। अब बशीर को मज़ा आ गया था और उसने मम्मी के पूरे कपड़े उतार दिए थे। अब मम्मी शर्म के मारे बेहोश जैसी होने लगी थी, फिर बशीर लगातार मम्मी की गांड और चूत को चोदने लगा और मम्मी पागलों की तरह सिसकियां लेने लगी तो बशीर ज़ोर से हंस पड़ा और बोला कि क्यों बहुत प्यासी थी तू? कितने दिनों से कोई लंड नहीं लिया तूने? अब में भी दंग रह गयी थी और में इतनी आश्चर्य में थी कि भूल ही गयी थी कि में भी इनके क़ब्ज़े में हूँ।

अब सीढ़ियों से नसरीन और नावेद भी आने लगे। अब नसरीन ने रो रोकर अपनी आँखे लाल कर ली  थी, लेकिन नीचे मम्मी और बशीर तो जैसे सुहागरात मना रहे थे, अब मम्मी अभी भी सिसकियाँ ले रही थी और बशीर उसकी चूत पर उछल रहा था। अब यह देखकर नसरीन की आखें खुली की खुली रह गयी, पहली चुदाई की प्यासी चूत रातभर तीनों लंड से तड़पती रही। फिर महमूद अचानक से आया और बोला कि क्या बंदी है? वो कमिनी ऊपर एक साथ में दोनों का ही ले रही थी, घर पर तो बड़ी भोली बनकर बैठी थी। अब नसरीन की चूत से खून टपक रहा था और उसने महमूद और नावेद से अपना कुँवारापन टूटने के बाद मज़े भी लिए थे, लेकिन मम्मी को देखकर वो दोनों भी उन पर टूट पड़े, फिर महमूद ने मम्मी के मुँह में और नावेद ने उनकी गांड में अपना लंड घुसा दिया। इस तरह रात काट गयी और सारी रात हम तीनों को बहुत बेरहमी से चोदा गया। लेकिन जवानी की अंगारे हमने भी गर्म लंड लेकर सेक लिए थे, फिर वो लोग दूसरे दिन सुबह हमें घर में बाँधकर बाहर से कुण्डी लगाकर चले गये, क्या तूफान था वो? और इस तरह उन तीनों ने हमारी चूत की प्यास बुझाई ।।

धन्यवाद …

अजनबी शहर में कामवाली

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हैलो दोस्तों, मेरा नाम सतीश है और मेरी उम्र २४ साल की है। मैं मुम्बई में नौकरी करता हूँ और रहने वाला इन्दौर का हूँ। अब मैं आपको अपनी कहानी सुनाता हूँ।

आज से तीन साल पहले मैं मुम्बई नौकरी करने आया था। तब मुम्बई मेरे लिए अजनबी शहर था, इसलिए मुझे मेरा अकेलापन खलता था, मुझे भी एक अच्छी दोस्त की ज़रूरत थी, ताकि मेरा समय भी कट सके और मेरी काम-इच्छा भी पूरी हो सके। मैंने बहुत प्रयास किया पर

किसी भी अमीर और ख़ूबसूरत लड़की को पटा नहीं सका, क्योंकि यहाँ कि लड़कियों को पैसे वाले लंड पसन्द आते हैं।
तो मैंने आख़िर में एक मध्यम-वर्गीय लड़की जो दूसरों के घरों में काम करने जाती थी, उसको अपनी नौकरी और पैसे की झलक दिखलाकर पटा लिया। मेरी उससे फोन पर बातचीत भी शुरु हो गई। एक दिन शाम को मैंने उसे अपने घर बुलाया यह कह कर कि मेरी तबीयत ख़राब है और मेरे सभी दोस्त घर गए हैं। तुम मेरे लिए खाना बना दो, वरना मुझे भूखा ही सोना पड़ेगा। मेरी तबीयत ख़राब है, यह सोचकर वो मेरे लिए खाना बनाने मेरे फ्लैट में आ गई। मैं कई दिनों से इसी ताक में था कि कब मेरे दोस्त लोग फ्लैट पर ना हों और मैं उस कामवाली को चोद दूँ। उस दिन जब वो मेरे फ्लैट में आई तो मैं खुश हो गया। मैंने उसे किचन दिखा दिया, जब वो खाना बनाने की तैयारी कर रही थी, तो मैंने धीरे से उसके पीछे जाकर थोड़ा सा चिपक कर खड़ा हो गया। वह अचानक मुझे पीछे देखकर घबरा सी गई और बोली, “आपकी तबीयत ख़राब है, आप जाकर आराम कीजिए… मैं खाना बना दूँगी…”

मैं उसकी बात सुनकर उससे थोड़ा और चिपक गया। इससे पहले कि वो कुछ कहती मैं उसकी दोनों चूचियों को एक बार ज़ोर से दबा दिया और फिर सहलाने लगा। पहले तो उसे बहुत डर लगा, लेकिन बाद में धीरे-धीरे सहलाने से उसे मज़ा आने लगा और वो आँखें बन्द कर मज़े लेने लगी। मैंने लोहा गरम होते देख उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे चूमने लगा। मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी पैन्टी में डाल दिया और उससे पहले कि वह कुछ विरोध कर, मैंने उसकी चूत में उँगली डाल दी, और ज़ोर-ज़ोर से आगे-पीछे करने लगा। वो अब सब कुछ भूल कर मदहोश होने लगी।

मैं उसे किचन में ही नंगा करने लगा और वो कुछ नहीं बोली। थोड़ी ही देर में वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी। उसके शरीर पर एक भी तिनका कपड़ा का नहीं बचा था। उसे इस तरह देखकर मेरा लण्ड तुरन्त खड़ा हो गया। अब वो भी जोश में आकर मेरे कपड़े उतारने लगी और मैं भी उसकी मदद करते हुए जल्दी से पूरा नंगा हो गया।

मैंने अब अपना लंड उसके मुँह में डालना चाहा तो शर्म के मारे उसने मना कर दिया। फिर मैंने दूसरा तरीका अपनाया। मैंने अब उसे ज़मीन पर सुला कर उसकी चूत पर अपना मुँह रख दिया और उसकी चूत को ज़ोरों से चाटने लगा। अब उसने मस्ती और मदहोशी में चूर होकर अपनी आँखें बन्द कर लीं। मैंने इसी बात का फ़ायदा उठा कर उसकी चूत चाटते-चाटते ही 69 की मुद्रा में आ गया और मेरा लण्ड उसके होंठों पर रख दिया। पर इस बार भी उसने मना कर दिया। मैं नाराज़ होने का नाटक करने लगा और कपड़े पहनने लगा।

अब तक तो वह इतनी गरम हो चुकी थी कि मुझसे चुदवाने के लिए कुछ भी करना पड़े तो वो कर सकती थी। उसने तुरन्त मेरे लण्ड को मुँह में भर लिया और उसे आईसक्रीम की तरह चूसने लगी। मेरी योजना सफल हो गई, मैं बहुत खुश हुआ। आज तो जैसे लकी ड्रा ही निकल आया था मेरे लिए, अब हम दोनों 69 की स्थिति में थे। मैं उसकी चूत चाट रहा था, और वह मेरा लंड चूस रही थी। क़रीब आधे घंटे तक मैंने उसके मुँह की चुदाई की, इसी दौरान वह एक बार झड़ चुकी थी, और मेरे लंड ने भी उसके मुँह में एक बार उल्टी कर दी थी। वो उस सफेद गाढ़े द्रव को पूरा पी गई।

अब तक आग दोनों ओर भड़क चुकी थी। मैंने अपना लंड उसके मुँह से निकाला और अब उसकी चूत में डालने लगा, लेकिन उसकी चूत काफी तंग थी, अतः मैं असफल हो गया। उसकी सील शायद अभी तक नहीं तोड़ी गई थी। मैंने किचेन से तेल लेकर अपने लंड पर और थोड़ा तेल उसकी चूत पर भी लगा दिया और फिर से चूत में लंड डालने लगा। इस बार मैंने उसकी चूत में एक ज़ोर का झटका दिया और लंड दो इंच तक अन्दर घुसा दिया। इस झटके से वो तड़प उठी और ज़ोर से चिल्लाई। मैंने उसका मुँह तुरन्त बन्द कर दिया, और साथ ही एक और झटका दिया तो उसकी आँखों से आँसू निकल आए। मैं डर गया तो मैंने उसके मुँह से हाथ हटा लिया। वो बहुत रोई, अब उसकी चूत से खून निकल रहा था। मैंने उससे धीरे-धीरे चोदने का वादा करके फिर से राजी किया। अब मैं अपनी कमर धीरे-धीरे चला रहा था और ऐसे ही धीरे-धीरे अपना ८ इंच लम्बा लंड उसकी चूत के अन्दर गाड़ ही दिया।

थोड़ी देर में दर्द कम होने की वज़ह से उसे भी मज़ा आने लगा और वो भी मेरा साथ अपनी चूत हिला-हिला कर देने लगी। अब उसे मज़ा आने लगा था और वो ख़ुद बोल रही थी… ज़ोर से चोदो मुझे, और ज़ोर से, फाड़ दे आज मेरी चूत, बुझा दे आज इसकी प्यास… फाड़ दे साली चूत को और ज़ोर से…

मैं भी उसकी बात सुनकर जोश में आकर ज़ोरों के झटके मारने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने उसे कुतिया बना कर उसकी चुदाई की। लगभग २५ मिनटों की चुदाई के बाद वो झड़ गई, और उसके २ मिनट बाद मुझे भी लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने अपना लंड निकाल कर उसके मुँह में चुदाई करनी शुरु कर दी। और अन्त में मैं भी उसके मुँह में झड़ गया। उसने फिर मेरे लण्ड का सारा पानी पी लिया और मेरे लण्ड को चाट-चाट कर साफ कर दिया।

उसके बाद हम दोनों किचन से निकल करक साथ में नहाने चले गए। नहाने के बाद मैंने उसे अपना मोबाईल देकर कहा कि अपने घर फोन करके कह दो कि आज तुम मैडम (जिसके घर वह काम करती थी) के यहाँ रुकोगी, क्योंकि उनके पति घर पर नहीं हैं, तो उन्होंने मुझे आज रात यहीं रुकने को कहा है। उसने घर पर यही बता दिया। उसके घर वालों को कोई आपत्ति नहीं थी।

हमने होटल से खाना मँगवा कर खाया। उसके बाद फिर दोनों नंगे ही बिस्तर पर सो गए। रात में मैंने उसकी चार बार चुदाई की और एक बार गाँड भी मारी। पर सबसे ज़्यादा मज़ा मुझे उसकी गाँड मारने में आया था… उस रात की चुदाई के बाद वो जब भी मुझसे बात करती तो यही कहती कि अब आपकी तबीयत कब ख़राब होगी??? और मैं जब भी अपने फ्लैट पर अकेला होता तो उसे किसी ना किसी बहाने बुलाकर चुदाई का खेल खेलता।
दोस्तों ये थी मेरी कहानी।

बस में आंटी की चूत का भोसड़ा बनाया

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हैल्लो दोस्तों, में इस साईट का बहुत पुराना पाठक हूँ और मैंने इस साईट पर बहुत सारी स्टोरी पढ़ी है और मुठ भी मारी है और आज में आपको मेरी सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ। मुझे जब अहमदाबाद से पूना काम के सिलसिले में जाना था तो मैंने एक ट्रेवेल्स में ए.सी. की स्लीपर बुक कर दी। शायद 14 घंटे का रास्ता था और ट्रेन में बुकिंग नहीं हो पाई थी, क्योंकि दीवाली का समय जो था। मुझे बस में टिकट बुक करनी पड़ी, वैसे बस तो बहुत ही बढ़िया थी और 2X1 थी, लेकिन मुझे जब सीट मिली तब सिर्फ़ एक ही 2 साईज़ का सोफा खाली था तो मुझसे 500 रुपये ज़्यादा लिए और बोला कि अगर कोई मिल गया तो आपको 500 रुपयें वापस कर देंगे, वरना आपको ही 500 ज़्यादा भरना पड़ेगा।

अब मेरे पास कोई चारा नहीं था और में पहले से ही 3 ट्रेवेल्स में पूछ चुका था, लेकिन सब बुक थी तो मैंने भी मज़बूरी में हाँ बोल दिया। अब अहमदाबाद से बैठने के बाद में स्लीपर में सेट हुआ और नाईट का सफ़र होने की वजह से में थोड़ा म्यूज़िक लगाकर थोड़ी देर टाईम पास करने लगा। अब बस करीब अहमदाबाद से बाहरी इलाक़े में पहुँची थी तो बस वहाँ पर रुकी। फिर मेरे कैबिन में दस्तक हुई। फिर मैंने कैबिन खोला और पाया कि क्लीनर एक लेडी को लेकर आया था और मुझे बोला कि इनको आपकी बाजू वाली सीट दी है। अब मेरे तो आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। फिर क्लीनर ने तभी मुझे मेरे 500 रुपये वापस कर दिए और हंसकर चला गया। फिर मैंने उस औरत को विंडो साईड जाने दिया। फिर उसने अपना थोड़ा सामान इधर-उधर किया और फिर पीठ को टिकाकर बैठ गयी। अब उसको मैंने ध्यान से देखा तो वो खूबसूरत थी, उम्र करीब 35 साल के आस पास होगी और रंग मीडियम, होंठ पिंक रंग की लिपस्टिक से सजे हुए और स्तन भी आकर्षक थे, करीब 36 की साईज़ का, हिप्स भी बड़े दिख रहे थे कोई 36-38 के होंगे, उसके बदन से लेडीस पर्फ्यूम की स्मेल आ रही थी और जो हमारी कैबिन को सुगंधित बना रही थी। फिर उसने बस में सेट होने के बाद मुझसे पूछा कि आपको कहाँ जाना है?

में : जी, मुझे पूना तक और आपको?

वो बोली : मुझे भी पूना ही जाना है।

में : क्या आप वहाँ की ही रहने वाली है?

वो : नहीं, में अहमदाबाद में ही रहती हूँ, लेकिन वहाँ मेरी चचेरी बहन की शादी है और दीवाली की छुट्टियाँ भी है तो वहाँ जा रही हूँ और आप?

में : जी, में एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूँ और काम के सिलसिले में ही पूना जा रहा हूँ।

वो बोली : ओके।

में : मेडम आपका पर्फ्यूम बड़ा ही अच्छा है पूरी कैबिन सुगंधित हो गया है।

मैंने फिर उससे पूछा : क्या आपके पतिदेव शादी में नहीं जा रहे है?

वो : जी, वो तो जब शादी होगी तब दो दिन पहले आयेंगे और बच्चे भी स्कूल की वजह से शादी के टाईम ही आयेंगे और मेरी बहन की शादी है तो काम-काज करने के लिए मुझे थोड़ा जल्दी जाना पड़ रहा है।

में : ओह तो आपके बच्चे आपके बिना कैसे रहेंगे?

वो : क्यों नहीं रह सकते? मेरी लड़की अब 15 साल की है और वो आराम से घर संभाल सकती है।

में : क्या? आपकी इतनी बड़ी बेटी है? आपकी उम्र देखकर लगता नहीं कि आपकी इतनी बड़ी बेटी होगी।

फिर वो शर्मा गयी, आप भी ना, में इतनी भी जवान नहीं कि जो आप मेरी झूठी तारीफ कर रहे है।

में : नहीं मेडम जी, सच में आप 25-27 साल से ज़्यादा की नहीं दिखती है।

वो : खाली मक्खन मत लगाइये, मुझे भी सब मालूम है।

में : नहीं मेडम जी, सच में मुझे यकीन ही नहीं हो रहा है।

वो : छोड़िए वो सब, लेकिन आप बताइयें कि आप अहमदाबाद में क्या करते हो?

में : जी, में एक फ़ार्मा कंपनी में हूँ और मुझे कई बार कस्टमर के यहाँ महीने में एक दो बार जाना पड़ता है, फीडबैक लाने और नई प्रोडक्ट के बारे में जानकारी देने के लिए।

वो : बहुत अच्छा जॉब है आपका, क्या आपकी शादी हो गई है?

में : नहीं जी, अभी तो में सिर्फ़ 23 साल का हूँ, मेरा अगले 3-4 साल तक तो कोई इरादा नहीं है और जब सेट हो जाऊंगा तो करूँगा, लेकिन मेडम जी हमने इतनी बात के बाद भी एक दूसरे के नाम नहीं जानते, क्या में आपका नाम जान सकता हूँ?

वो : जी, में वीना और आपका नाम?

में : जी, में रोहित।

वीना : रोहित, तुम मुझे मेडम जी मेडम जी मत बुलाया करो में कोई मेडम नहीं सिंपल हाउस वाईफ हूँ, तुम सिर्फ़ मुझे भाभी या वीना बोलोगे तो भी चलेगा।

में : ठीक है भाभी।

(TBC)…

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