अब उसने मेरा लौड़ा बेहताशा चाटना शुरू किया मानो बरसों की भूखी हो और क्यों ना… थी ही वो बरसों की प्यासी। लौड़ा अब उसके गले तक नीचे उतरा जा रहा था। अब मुझे अपने पर काबू रख पाना मुश्किल होने लगा। वीर्य सुपारे में आकर इकट्ठा हो गया था जैसे ज्वालामुखी फटेगा।मैं अब जानबूझ कर उठ गया। पर वो छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। मैंने लौड़ा उसके मुँह से छुड़ा लिया और उसकी टांगों के बीच आकर बैठ गया। उसके चेहरे पर एक नशाछाया हुआ था। और आँखों ने कह ही दिया- अब डालो ना।
मैंने सुपारा चूत के मुँह पर रख दिया उसकी आँखें लौड़े के एहसास से ही बंद हो गई थी।
मैंने एक जोरदार धक्का दिया, वो चीख पड़ी- उएई म्म्माआ मर गयी ! निकालो बाहर ! राज।
मैंने अपना मुँह उसके मुँह पर रख दिया और एक धक्का दिया, अब मेरा पूरा लौड़ा चूत में समां गया। मैं बिना कुछ किये शांत पड़ा रहा। उसकी आहों ने पूरे कमरे को भर दिया था। उसका दर्द कुछ काम हुआ तो उसने आँखें खोली, मानो कह रही हो- राज मैं अब तैयार हूँ।
और मैंने लौड़ा अन्दर-बाहर करना चालू कर दिया। वो भी अब गांड उठाकर मेरा साथ देने लगी। इसका मतलब था कि रास्ता साफ हो गया है और मैं असली रूप में आ गया, मैंने अपनी सेक्स मशीन चालू कर दी। अब चिल्लाने और चूदने के अलावा वो कुछ नहीं कर सकती थी। वो सिर्फ गांड हिलाती रही, चिल्लाती रही और झड़ती रही।
मैं भी अपनी चरमसीमा पर पहुँच चुका था और मेरी रफ़्तार भी लगभग दुगनी हो गई थी। 4-5 बड़े झटकों के बाद मैं चिल्लाया और झड़ गया।
उसने मुझे ऐसे कस लिया मानो हम दो नहीं एक हों। मैं आखिरी बूंद गिराने तक उस पर पड़ा रहा और फिर निढाल होकर सो गया।
मैं जब नींद से जगा तो वो मेरे बालों को सहला रही थी, उसने मुझे आई लव यू कहा और लिपट गई। उस रात मैंने उसको तीन बार चोदा। सुबह वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी।फिर मैंने मीटिंग के बारे में बात की। उसने कहा कि उसका प्रेजेंटेशन सबको बहुत ही पसंद आया। उसने मीटिंग में यह भी बताया कि उसको इस काम में मैंने कैसे मदद की। पर वो थोड़ी रुकी और कहा- मैं अब तुम्हारी मैनेजर नहीं रही।
मैं बिस्तर पर बैठ गया और विस्मय से देखने लगा, मैंने पूछा- क्यों? तुम्हारा काम सबको पसंद आया ना? फिर क्या बात हुई?
तो वो बोली- मेरी इतनी ज्यादा मदद करने की तुम्हारी भावना ने सबको प्रेरित किया और उन्होंने तुम्हें मैनेजर बना डाला। बधाई हो ! अब मैनेजर मैं नहीं, तुम हो। और उसका लेटर जल्द तुम्हारे मेल पर होगा।
पर मुझे कोई खुशी नहीं थी, उस जगह की असली हकदार तो पूजा ही थी, मैं निराश होकर बिस्तर से उठने लगा तो वो बोली- अभी साथ छोड़ोगे फिर मैं जब सीनियर मैनेजर की कुर्सी पर बैठूँगी तो मेरा साथ कौन देगा?
मैंने उसकी तरफ देखा तो मुझे चिड़ाने की मुद्रा में हँसने लगी। मैं ख़ुशी से झूम उठा और मैं बेतहाशा उसे चूमने लगा।
अगले 5 दिन हम शादीशुदा हनीमून युगल की तरह ऊटी, मैसूर, बंगलौर घूमते रहे।
छः महीने पहले उसका पति आकर उसे अमेरिका ले गया पर सच कहूँ वो उसे अपना दोस्त और मुझे पति मानती है। जाने से पहले उसने एक काम कर दिया। मेरी मुलाकात एक ऐसी औरत से कर दी जिसने मुझे पूजा की कमी महसूस होने नहीं दी। बात आगे बढ़ती रही, वो भी मेरे जिंदगी से ऐसे ही निकल गई पर उसने ऐसी औरतों से मुलाकात करा दी जो चुदाई की प्यासी थी और मुझ पर पैसे भी लुटाती थी।